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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ले आया होगा तो ऐसी पत्नी तथा/या बच्चोंको संघमें प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा।

(घ) संघमें या उसके किसी प्रान्तमें अवैध रूपसे प्रविष्ट और १ नवम्बर, १९२८ तक भी संरक्षण प्रमाणपत्र या उपर्युक्त पैरा (ख) की शर्तोंके मुताबिक दस्तावेज अपने पास रखनेका प्राधिकरण प्राप्त न कर लेनेवाले भारतीय पर उसके प्रवेशकी तिथिका विचार किये बिना, विधि-सम्मत कार्रवाई की जायेगी।

(ङ) ५ जुलाई, १९२४ से पहले अवैध रूपसे प्रविष्ट और इस तिथिके पश्चात् निष्कासन-योग्य अपराधके लिए दण्डित किसी भी भारतीयके मामले में प्रवास विधिकी व्यवस्थाओं को लागू करनेका मन्त्रीका अपना अधिकार सुरक्षित रहेगा।

आपको अधिकार दिया जाता है कि यदि आप चाहें तो इस पत्रको प्रकाशित कर सकते हैं।

आपका आज्ञानुवर्ती सेवक,
सी॰ एस॰ शिम्ट
गृह मन्त्रीका सचिव

पी॰ के॰ देसाई महोदय
अवैतनिक महामन्त्री
दक्षिण आफ्रिकी भारतीय कांग्रेस
पो॰ आ॰ बाक्स ५३३९, जोहानिसबर्ग

डी॰ एफ॰ मलानको वी॰ एस० श्रीनिवास शास्त्रीका पत्र

माउन्ट नेलसन होटल
केप टाउन
१४ मई, १९२८

प्रिय डॉ॰ मलान,

परसों आपसे अपनी मुलाकात के दौरान मैंने ट्रान्सवाल भारतीय समाजकी इस उत्कट इच्छाकी ओर आपका ध्यान दिलाया था कि ‘माफी योजना’ को लागू करनेमें १९१४को सीमारेखा मानना चाहिए। मुझे इस विचारको आपके समक्ष पुनः प्रस्तुत करने और आपको यह स्मरण दिलाने की अनुमति दीजिए कि अन्य लोगोंके अतिरिक्त श्री गांधी और श्री पैट्रिक डंकन-जैसे दो व्यक्ति भी इसके समर्थक हैं।

साथ ही, मेरे देशवासी तीन पूरक मुद्दोंके बारेमें आश्वस्त होना चाहते हैं। यदि आपको असुविधाजनक न लगे तो मुझे भरोसा है कि आप अपने उत्तरमें मुझे यह कहनेकी सामर्थ्य दे देंगे कि आपने मुझे ये आश्वासन देनेका अधिकार दे दिया है:

१. जाली या अवैध प्रवेशके लिए पहले कभी माफी पा चुकनेवाले किसी भी भारतीयको माफी के लिए इस अवसर पर प्रार्थनापत्र देनेकी जरूरत नहीं पड़ेगी। अपने परिवारको लानेका उसका अधिकार किसी भी तरह खतरेमें नहीं पड़ेगा।