२. अब माफी पानेवाले पुरुषोंके नाबालिग पुत्रोंको साधारण तौर पर पंजीयन प्रमाणपत्र हासिल करनेकी अनुमति दी जायेगी।
३. यदि भविष्यमें कभी संरक्षण प्रमाणपत्र विधिकी दृष्टि से त्रुटिपूर्ण पाये जायें या उन्हें धारण करनेवाले व्यक्तियोंके अधिकारोंका संरक्षण करनेमें अपर्याप्त समझे जायें, तो आप या आपके उत्तराधिकारी उनको पूरी तरह कारगर बनानेके लिए यथास्थिति वैधानिक या अन्य कोई आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
निवेदन है कि अपना उत्तर देते समय आप मेरी भाषाकी शिथिलता पर न जायें बल्कि मेरे अनुरोधके सार-तत्त्व पर ही अधिक ध्यान दें।
हृदयसे आपका,
वी॰ एस॰ श्रीनिवास शास्त्री
गृह मन्त्री, केप टाउन
वी॰ एस॰ श्रीनिवास शास्त्रीको डी॰ एफ॰ मलानका पत्र
दक्षिण आफ्रिका संघ, गृहविभाग
केप टाउन
१६ मई, १९२८
‘माफी योजना’ के सम्बन्धमें इसी महीनेकी १४ तारीखके आपके पत्रके संदर्भ में आपके द्वारा उठाये मुद्दों पर मैंने ध्यानपूर्वक विचार कर लिया है और आपकी निम्नलिखित बातें सूचित कर रह हूँ:
१. १९१४ सीमा-रेखा: खेद है कि मैं भारतीय समाजकी इस इच्छाका पालन करने में असमर्थ हूँ। स्मट्स-गांधी समझौते में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका यह अर्थ लगाया जा सके कि समझौता होनेकी तिथि तकके सभी अवैध और जाली प्रवेशकर्ताओंको माफी दी आयेगी; और प्रस्तावित “१९१४ सीमा-रेखा” का कोई भी औचित्य नहीं है।
२. पहले की माफियाँ: मैं मानता हूँ कि पहलेकी किसी भी माफी योजनाके अन्तर्गत माफी पाये अवैध या जाली प्रवेशकर्ता किसी भी भारतीयको नई योजनाके अन्तर्गत माफीके लिए फिरसे प्रार्थनापत्र देनेकी जरूरत नहीं पड़ेगी, बशर्ते कि उस माफीकी साक्षी देनेवाले दस्तावेजका वही उचित तथा वास्तविक धारणकर्त्ता हो।
३. माफीशुदा व्यक्तियोंके नाबालिग पुत्रोंका पंजीयन: जिन नाबालिग पुत्रोंको ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेकी अनुमति दी जा चुकी है, उनको साधारण तौर पर पंजीयन प्रमाणपत्र प्राप्त करनेकी अनुमति दे दी जायेगी।
४. संशोधन विधान―मेरी राय है कि ‘माफी अनुमति-पत्रके’ प्रस्तावित रूपके आधार पर ही उसे धारण करनेवालों के अधिकारोंको ‘माफी योजना’ की शर्तों पर संरक्षण मिल जायेगा, लेकिन यदि धारणकर्त्ताक अधिकारोंकी रक्षा करनेके लिए