अनुमति-पत्रको कभी अपर्याप्त माना जाये, तो मैं उस स्थिति में अनुमति-पत्रको कारगर बनाने के लिए संसदमें संशोधन-विधान प्रस्तुत करनेके लिए बिलकुल तैयार हूँ।
हृदयसे आपका,
डी॰ एफ॰ मलान
भारत सरकारके एजेंट, प्रिटोरिया
[३. माफी अनुमतिपत्रका प्रपत्र]
दक्षिण आफ्रिका संघ, प्रवास तथा एशियाई कार्य विभाग
१९२७ के अधिनियम संख्या ३७ द्वारा संशोधित
१९१३ का प्रवासी विनियम अधिनियम संख्या २२
यहाँ नीचे दी गई शर्तों तथा अपेक्षाओंके अधीन ―――――――― प्रान्त में ―――― का अवैध प्रवेश माफ किया जाता है और इसको कथित प्रान्तमें बने रहनेकी अनुमति दी जाती है।
शर्तें तथा अपेक्षाएँ
यह अनुमति-पत्र नीचे दी गई शर्तों तथा अपेक्षाओं और १९२७ के अधिनियम संख्या ३७ द्वारा संशोधित १९१३ के प्रवासी विनियमन अधिनियम संख्या २२ की व्यवस्थाओं तथा उसके अन्तर्गत बने विनियमोंके अधीन जारी किया जा रहा है।
(क) यह अनुमति पत्र मन्त्री द्वारा रद किये जाने तक वैध रहेगा।
(ख) यह अनुमति-पत्र इसे धारण करनेवाले व्यक्तिके वे सभी अधिकार तथा विशेषाधिकार सुरक्षित करता है जिनका उपभोग वह १९२७ के अधिनियम ३७ के प्रभावी होनेकी तिथि, अर्थात् ५ जुलाई, १९२७ को कर रहा था और ऐसे व्यक्तिके बारेमें मान लिया जायेगा कि वह ―――――― प्रान्तमें १९१३ के अधिनियम २२ के खण्ड २५ की शर्तोंके मुताबिक ही प्रविष्ट हुआ था, सिवाय इस बातके कि उसको कथित अधिनियमके खण्ड ५ (च) और (छ) द्वारा प्रदत्त अधिकारों तथा विशेषाधिकारोंका आग्रह करनेकी अनुमति नहीं दी जायेगी, जिसका अर्थ है कि यदि उसकी पत्नी तथा/या बच्चोंको इस तिथि तक प्रवेश नहीं मिला है तो उसे बादमें उनमें से किसी भी व्यक्तिको लाने की अनुमति नहीं दी जायेगी।
(ग) यह अनुमति-पत्र इसे धारण करनेवाले व्यक्तिको कोई भी पंजीयन प्रमाण-पत्र, अधिवास प्रमाणपत्र या संघमें या उसके किसी भी प्रान्तमें प्रवेश करने, निवास करने या बने रहने के लिए प्राधिकृत करनेवाले अन्य दस्तावेजोंको अपने पास रखनेका अधिकार देता है; परन्तु यदि मन्त्री इस अनुमति-पत्रको रद कर दे तो ऐसे दस्तावेज या दस्तावेजोंपर १९२७ के अधिनियम ३७ के खण्ड ५ द्वारा संशोधित १९१३ के अधिनियम २२ के खण्ड १० की व्यवस्थाओंके अन्तर्गत विचार किया जायेगा। इस पैराग्राफमें उल्लिखित दस्तावेजोंका खुलासा नीचे दिया जा रहा है, अर्थात्:[१]
- ↑ साधन-सूत्रमें नहीं दिया गया है।