१८. पत्र: बहरामजी खम्भाताको
आश्रम, साबरमती
३ जुलाई, १९२८
भाईश्री बहरामजी,
मगनलालके बारेमें तुम्हारा पत्र मिला था। मैं तो उसकी मृत्युकी बात भूल गया हूँ।[१] उसकी आत्मा तो आज भी आश्रम में काम कर रही है। अपना स्वास्थ्य अच्छी तरह सुधार लेना। तुम दोनों प्रसन्न रहना।
बापूके आशीर्वाद
लाइफ्स नेचर क्योर हेल्थ हाउस
इंग्लैंड
गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ४३७०) की नकलसे।
सौजन्य: तहमीना खम्भाता
१९. पत्र : वसुमती पण्डितको
आश्रम, साबरमती
३ जुलाई, १९२८
चि॰ वसुमती,
तुम्हारा पत्र मिला। तुमने वहाँके जलसेका जो विवरण दिया है वह ठीक
है, परन्तु उससे भी अच्छा विवरण दिया जा सकता था। तुमने देवशर्माजी से पूरी
बात कहकर अच्छा किया। यहाँ भी वर्षाका वही हाल है। सिर्फ कल एक बौछार
आई थी, किन्तु उसे भी बुआईके लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता।
महादेव सम्भवतः दो-तीन दिनमें चलने-फिरने लायक हो जायेगा।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ४८१ ) से।
सौजन्य: वसुमती पण्डित
आश्रम, साबरमती
- ↑ मगनलाल गांधी की मृत्यु २३ अप्रैल, १९२८ को हुई थी। देखिए खण्ड ३६, पृष्ठ २७८-८१।