पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/५१

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२०. पत्र: एन॰ आर॰ मलकानीको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
४ जुलाई, १९२८

 
प्रिय मलकानी,

तुम्हारा पत्र मिला। सिन्धके पृथक्करणके बारेमें ये दो पक्ष क्या हैं? मेरा मतलब एक ओर जेठमल[१] और उनके साथियों और दूसरी ओर जयरामदास[२] और उनके सहयोगियोंसे हैं। वे कौन-से अखबार हैं, जिनका तुमने उल्लेख किया है?

तुम मानते हो कि यदि असीमित दहेजको सीमित कर दिया जाये तो काफी होगा। लेकिन फिर उन गरीब माता-पिताओंका क्या होगा जो ३,००० रुपये अर्थात् तुमने जो सबसे छोटी राशि बताई है उतना भी नहीं दे सकते?

जो लड़कियाँ खादीकी फेरी लगानेमें तुम्हारी मदद कर रही हैं, उन्हें मेरी ओरसे बधाई देना। हैदराबादमें तो किसी सिन्धी लड़कीके लिए खादी पहनना और खादी बेचनेके लिए फेरी लगाना सचमुच खास बहादुरीका काम है।

हृदयसे तुम्हारा,
बापू

अंग्रेजी (जी॰ एन॰ ८८७) की फोटो-नकलसे।

 

२१. पत्र : श्रीप्रकाशको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
४ जुलाई, १९२८

 
प्रिय श्रीप्रकाश,

आपका पत्र मिला। जब भी आ सकें, अवश्य आ जाइए। अभी कुछ-एक महीने मेरे आश्रमसे कहीं बाहर जानेकी सम्भावना नहीं है।

आपके चेककी रकमको मगनलाल-स्मारक और बारडोली संघर्षके लिए मैं बराबर-बराबर बाँट रहा हूँ।

 

  1. जेठमल परसराम
  2. जयररामदास दौलतराम।
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