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३९. पत्र : आर॰ एस॰ कड़कियाको

६ जुलाई, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। आपके पूछे सभी प्रश्नोंके ब्योरेवार उत्तर देना सम्भव नहीं है। हाँ, एक सामान्य उत्तर दिया जा सकता है। वह यह है कि जहाँ-कहीं आप अपनेको गरीबोंकी श्रेणीमें लानेके लिए अपनी जरूरतें कम कर सकते हों, वहाँ उन्हें कम कीजिए, और अपनी जरूरत पर विचार करते समय आपको आम तौर पर आत्म-निग्रहकी वृत्ति अपनानी चाहिए। यदि आप ऐसा करेंगे तो अपनी जरूरतोंको वास्तवमें न्यूनतम सीमातक कम कर सकेंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत आर॰ एस॰ कड़किया
कांग्रेस कार्यालय, हैदराबाद (सिन्ध)

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४६०) की फोटो-नकलसे।

 

४०. पत्र : शौकतअलीको[१]

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
६ जुलाई, १९२८

प्रिय भाई,

जब आपका पत्र मिला, उससे पहले ही काबुलके गवर्नर साहब मुझसे मिल चुके थे। हमारी बातचीत बहुत ही स्नेह-सौहार्दपूर्ण रही। लेकिन मुझे इस बातका दुःख रहा कि उनके आनेकी सूचना मुझे पहले ही नहीं दी गई।

साथमें डॉ॰ अन्सारीको लिखे पत्रकी[२] एक नकल भेज रहा हूँ। इसमें पूरी बात साफ-साफ लिखी हुई है, इसके बारेमें अलगसे कुछ कहनेकी जरूरत नहीं है। डॉ॰ जाकिरहुसेनने इस पत्रको देखा है और वे इसमें कही गयी बातोंसे सहमत हैं।

हृदयसे आपका,

मौलाना शौकतअली
केन्द्रीय खिलाफत समिति
डोंगरी, बम्बई

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४६५) की फोटो-नकलसे।

 

  1. शौकतअलीके ३ जुलाईके पत्र के उत्तरमें। इस पत्र में शौकतकमीने गांधीजीसे काबुलके गवर्नर अली अहमदखाँसे मिलनेका अनुरोध किया था।
  2. देखिए "पत्र: डॉ॰ मु॰ अ॰ अन्सारीको", ६-७-१९२८।