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४३. बन्दरोंका त्रास

एक पाठक लिखते हैं:[१]

यह प्रश्न विचारणीय है। बन्दरोंसे केवल किसान ही त्रस्त नहीं हैं। वे प्रयाग और वृन्दावन आदिमें शहरी लोगोंको भी बहुत सताते हैं। यदि कोई मनुष्य बन्दरोंको मारता अथवा उन्हें पकड़कर ले जाता है तो उससे त्रस्त लोग नाराज भी नहीं होते। मैं बन्दरोंसे ऐसी परेशानीकी बात स्वीकार तो करता हूँ, फिर भी मैं उन्हें एकाएक मारनेका सुझाव नहीं दे सकता।

पागल कुत्ते और बन्दरोंमें कोई तुलना नहीं हो सकती। पागल कुत्ता तो पागल हो जानेसे वैसे भी मर ही जायेगा। इसलिए जो उसको मारता है वह उसको बड़े भारी कष्ट और दूसरोंको पागल होनेके भयसे मुक्त करता है। बन्दरोंको मारनेसे बन्दरोंका भला होगा, ऐसा तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता। फिर बन्दरोंके उपद्रव उनको मारे बिना नहीं रोके जा सकते हैं, ऐसा भी नहीं है।

प्राय: देखा गया है कि जिन जगहोंमें बन्दरोंके उपद्रव होते हैं, वहाँ दोष हमारा भी होता है। लोग बन्दरोंके प्रति दया-भाव दिखाते हैं, उनके सामने खाने-पीनेकी चीजें डालते रहते हैं और फिर वे किसी हदतक मनमानी करने लगते हैं। बन्दर बहुत चालाक होता है। हमारा आशय क्या है, वह इसे बहुत जल्दी समझ जाता है। मैंने वृन्दावनमें देखा, वे भारतीयोंकी बस्तियोंमें निर्भय होकर उपद्रव करते रहते हैं, किन्तु गोरोंके मुहल्लोंमें कहीं दिखाई नहीं पड़ते। वहाँ जाने पर उनको मार खानेका भय जो रहता है। मारका भय भी हिंसा है। हमें यहाँ इस पेचीदा प्रश्न पर विचार करनेकी जरूरत नहीं है। यहाँ तो प्रश्न इतना ही है कि बन्दरोंको अन्तिम हिंसा अर्थात् मृत्यु-दण्डसे बचाया जाये या नहीं। मुझे लगता है कि इस प्रश्नकी हदतक तो वे शायद देहान्त-दण्डसे बचाये जा सकते हैं।

पाठकोंको जानना चाहिए कि आजकल बन्दरोंका व्यापार बड़े पैमाने पर चलता है। हजारों बन्दर यहाँसे अनेक प्रकारके प्रयोगोंके लिए यूरोप ले जाये जाते हैं। वहाँ उनको मारने से पहले उनपर प्रायः अनेक प्रकारके निर्दयतापूर्ण प्रयोग किये जाते हैं। इसलिए बन्दरोंकी संख्यामें वृद्धि रोकनेका उपाय किया जा सके तो वह उचित ही है।

अब रही उनको मारनेकी बात। यदि खेतीकी रक्षा करना धर्म हो और बन्दरों के उपद्रवोंसे खेतीकी रक्षा करनेका अन्य कोई उपाय न हो तो बन्दरोंको मारना आवश्यक हो सकता है, यह बात मेरी कल्पना से बाहर नहीं है। किन्तु यह अहिंसा

 

  1. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। लेखकने पूछा था कि क्या पागल कुत्तोंकी तरह बन्दरोंको भी नष्ट नहीं किया जा सकता?