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५९. पत्र : बारबरा बाउरको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१३ जुलाई, १९२८

प्रिय मित्र, आपका पत्र[१] मिला। मुझे नहीं मालूम कि मुझमें लोकोत्तर शक्तियाँ होनेकी बातें कैसे प्रचारित हो गई! मैं तो इतना ही कह सकता हूँ कि मैं केवल एक सामान्य मर्त्य प्राणी हूँ और कोई भी मानव-प्राणी जिन कमजोरियों, प्रभावों और अन्य बातोंके अधीन हो सकता है, उन सबसे ऊपर नहीं हूँ तथा मुझमें कोई अलौकिक शक्ति नहीं है ।

हृदयसे आपका,

कुमारी बारबरा बाउर
बिग स्प्रिंग
टेक्सास
संयुक्त राज्य अमेरिका

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४३४९) की माइक्रोफिल्मसे।

 

६०. पत्र : डॉ॰ जोसिया ओल्डफील्डको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१३ जुलाई, १९२८

प्रिय मित्र,

इतने वर्षोंके बाद आपका पत्र[२] पाकर कितनी प्रसन्नता हुई, कह नहीं सकता।

आपने अखबारोंमें देखा ही होगा कि आखिरकार मैंने इस वर्ष यूरोप न जानेका ही फैसला किया। वैसे अगले साल जानेका इरादा है। अगर जाऊँगा तब तो हम लोग वहाँ कहीं-न-कहीं मिलेंगे ही। मगर यह नहीं कह सकता कि आपके

 

  1. २४ मई १९२८ का पत्र, जिसमें लिखा था: "आपसे मेरा अनुरोध यह है कि आप मेरे भाई को पुनरुज्जीवित कर दें। ...मैं जानती हूँ कि आप यह काम कर सकते हैं – उसी खूबीसे जिस खूबीसे स्वयं ईश्वर कर सकता है। ... मुझे मालूम है कि आप दैवी शक्तियोंसे युक्त है।..." (एस॰ एन॰ १४३१४)।
  2. २० जून, १९२८ का पत्र, जिसमें लिखा था: "अगर मेरे यहां कुछ समय रह सकें तो विश्वास रखिए कि आपका हार्दिक स्वागत-सत्कार किया जायेगा। यदि आपको चिकित्सा और परिचर्या सम्बन्धी सुविधाओंकी जरूरत होगी तो हम वह सुविधा भी देंगे।..." (एस॰ एन॰ १४३३१)।