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७०. पत्र: बनारसीदास चतुर्वेदीको

[१४ जुलाई, १९२८][१]

भाई बनारसीदास,

यह भाई ओझाका खत है। मैं तो उनको कुछ सलाह देनेकी योग्यता नहीं रखता हूं। इस बारेमें आप उनको कुछ लिखे।

मोहनदासका वन्देमातरम्

बनारसीदास चतुर्वेदीका ए॰आई॰सी॰सी॰ के साथ पत्र व्यवहार।

सौजन्य: नेहरू स्मारक संग्रहालय, नई दिल्ली

 

७१. पत्र: प्रभाशंकर पट्टणीको

आश्रम, साबरमती
१४ जुलाई, १९२८

सुज्ञ भाईश्री,

आपका पत्र मिला। यदि महादेव अस्वस्थ न होता तो मैं शायद उसे उसीके सन्तोषके लिए स्टेशन भेज देता। किन्तु अब तो मैं किसीको नहीं भेज रहा हूँ। परन्तु चि॰ कुसुमबहनको अपने किसी सम्बन्धी से मिलने स्टेशन जाना है। अतः इस पत्र द्वारा आपको सूचित करता हूँ कि हम सभी आपकी राह देख रहे हैं।

मोहनदासका वन्देमातरम्

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ३२२३) से।

सौजन्य: महेश पट्टणी

 

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