६४. "बाजार"—सूचनामें संशोधन[१]
जोहानिसबर्ग
दिसम्बर ११, १९०३
सरकारका विचार विधान परिषदमें बाजार-सम्बन्धी सूचनामें एक संशोधन पेश करनेका है, उसके फलस्वरूप ट्रान्सवालके कुछ ब्रिटिश भारतीय विशेष रूपसे पृथक बनाये गये बाजारों या बस्तियोंमें ही अपना व्यापार चलानेकी पाबन्दीसे मुक्त हो जायेंगे।
परन्तु इस संशोधनमें सब वर्तमान परवानेदार नहीं आते। संशोधित कानूनका असर फिर भी यह रह जायेगा कि कोई एक सौ ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंको बस्तियोंमें जाना पड़ेगा। इसका मतलब यह होगा कि ये सब व्यापारी बिलकुल बरबाद हो जायेंगे।
इसलिए यहाँ ब्रिटिश भारतीयोंकी एक सार्वजनिक सभा की गई और उसमें इस आशयका प्रस्ताव पास किया गया कि जबतक ट्रान्सवालके भारतीय-विरोधी कानूनोंमें वह परिवर्तन नहीं कर दिया जाता, जिसका वादा किया गया है, तबतक सभी वर्तमान परवानेदारोंकी रक्षा की जाये।
विधान-परिषद प्रस्तावित संशोधनपर आगामी सोमवार, १४ दिसम्बरको विचार करेगी।
इंडिया, १८-१२-१९०३
६५. तार: ब्रिटिश समितिको
जोहानिसबर्ग
दिसम्बर १२, १९०३
इनकाज़
सरकार विधान-परिषदमें बाजार-सम्बन्धी सूचना संशोधन लाना और सब वर्तमान परवानोंको शामिल न करके केवल कुछ भारतीयोंको बाजारमें व्यापारकी पाबन्दीसे मुक्त करना चाहती है। इसका अर्थ है लगभग सौ व्यापारियोंको बस्तियोंमें अनिवार्यतः हटाना और उनकी बिलकुल बरबादी। अतः ब्रिटिश भारतीयोंकी सामूहिक सभामें प्रस्ताव द्वारा प्रार्थना की गई कि सब वर्तमान परवानेदारोंको भारतीय-विरोधी कानूनोंमें परिवर्तन होने तक संरक्षण दिया जाये। परिषदमें संशोधन पर विचार सोमवारको होगा। कृपया सहायता करें।
गांधी
इंडिया ऑफिस: ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स ५७/१९०४।
- ↑ यह "एक संवाददातासे प्राप्त" रूपमें प्रकाशित हुआ था।