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तार: गवर्नरके सचिवको

इस राजमान्य पुरुषने आयरलैण्डको स्वराज्यका हक दिलानेमें जो श्रम उठाया था, उसमें यद्यपि इसका पराभव हुआ, तथापि इंग्लैंडकी प्रजा और इसके विरोधी भी यह नहीं कह सकते कि इसका वह कार्य लोक-कल्याणका नहीं था। राजमान्य और प्रजामान्य होते हुए भी वह गर्वसे फूल नहीं गया था। राजके मानकी अपेक्षा प्रजाके मानको ही उसने श्रेष्ठ माना था, और इस सबके मूलमें उसकी कर्तव्यपरायणता और सुजनता थी। श्री चन्दावरकरने श्री ग्लैड्स्टनके ऐसे लोकोत्तर गुणोंके उदाहरण श्री मार्ले-कृत जीवनवृत्तसे पढ़कर सुनाये थे। उनसे इस महापुरुषका सौजन्य और विनय, कुटुम्ब-भक्ति, प्रजा-भक्ति और राज-भक्ति, स्वदेशाभिमान, नीति, प्रीति आदि गुण बहुत शिक्षाप्रद मालूम होते थे। खेदकी बात इतनी ही है कि इस प्रकारके भाषणोंका लाभ गुजराती जनताको भाग्यसे ही मिल पाता है। श्री चन्दावरकरने प्रार्थना-समाजके मन्दिरमें श्री ग्लैड्स्टनका जो यशोगान किया है, वह उस महात्माकी समाधिपर फूलोंका एक गुच्छा चढ़ाने के समान ही है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १४-१-१९०४

८२. तार: गवर्नरके सचिवको


जोहानिसबर्ग
जनवरी १६, १९०४


सेवामें
परमश्रेष्ठ लॉर्ड मिलनरके निजी सचिव

सरकारने ब्रिटिश भारतीय संघको अभी सूचित किया कि अगर परवानेदार लड़ाईसे पहले व्यापार नहीं करते थे तो जिन शहरोंमें नई पृथक बस्तियाँ बन गई हैं उनकी पुरानी पृथक बस्तियोंमें भी उनके परवाने नये नहीं किये जायेंगे। यह बाजार-सूचनाकी सीमामें बिलकुल नहीं आता और भारतीय-विरोधी आन्दोलनसे जरूरी नहीं होता। नई बस्तियोंके सब स्थान उजाड़ हैं। अगर व्यापारी वहाँ जायें भी तो उन्हें अपने खर्चपर इमारतें बनानी पड़ेंगी, जो बहुतोंके सामर्थ्य के बाहर हैं। इसके सिवा सब नई इमारतें एकदम नहीं बन सकतीं। संघ परमश्रेष्ठसे हस्तक्षेपका नम्रतापूर्वक अनुरोध करता है। उसे भरोसा है कि वर्तमान परवाने आयोगकी रिपोर्ट आनेतकके लिए नये कर दिये जायेंगे। व्यापारियोंको मुकदमे चलाये जानेका डर है, इसलिए जल्द जवाब की प्रार्थना है।

बिआस[१]

[अंग्रेजीसे]

प्रिटोरिया आर्काइब्ज़: एल० जी० ९२: सं० ९७/१/२ एशियाटिक्स १९०२-१९०६।

  1. ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन (ब्रिटिश भारतीय संघ) का तारका पता।