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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय


ऊपर बिना नमक-मिर्च मिलाये जिस वस्तुस्थितिका बयान किया गया है, उससे स्पष्ट है—परम सम्माननीय महोदय क्षमा करें—कि उक्त तीन बातोंमें से एक भी तथ्योंके समक्ष नहीं ठहर सकती। क्योंकि, बाजार दुर्गम स्थानों में निश्चित किये गये हैं, वास्तविक शरणार्थियोंके परवाने पुनः जारी नहीं किये जा रहे हैं, और भारतीय, वे कितने भी प्रतिष्ठित क्यों न हों, तमाम निर्योग्यताओंके शिकार बने हुए हैं। अभीतक सिर्फ निवासकी छूटका वचन मिला है। किन्तु वह भी इतनी अपमानजनक शर्तोंसे घिरा हुआ है कि शायद ही किसी आत्माभिमानी भारतीयने उस छूटकी सुविधाके लिए दरख्वास्त की है। फिर, निवासकी छूट भारतीयोंकी आखिरी जरूरत है। निवासकी ऐसी छूटका क्या मूल्य होगा, जिसके साथ व्यापारका हक जुड़ा हुआ नहीं है? वर्तमान शासनमें कम उलटा हो गया है। व्यापार मुख्य वस्तु है, इसे समझकर पहले श्री चेम्बरलेनने बोअर-सरकारसे कहा था कि नगरोंका भारतीय व्यापार जैसाका-तैसा छोड़ दिया जाये, किन्तु यदि श्री क्रूगर स्वच्छताकी दृष्टिसे ब्रिटिश भारतीयोंके लिए अलग निवासको जगहें निश्चित करना चाहें, तो उन्हें इसपर आपत्ति न होगी।

युद्ध अंशतः भारतीयोंके लिए लड़ा गया था। यदि वे अपनी स्थिति बेहतर नहीं कर सकते तो कमसे-कम लड़ाईके पहलेकी सुविधाका दावा तो वे कर ही सकते हैं।

[अंग्रेजीसे]

कॉलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: सी० ओ० २९१, जिल्द ७५, इंडिया ऑफिस।

८४. ऑरेंज रिवर उपनिवेश

आम तौरपर किसी देशका सरकारी गजट पढ़ने में बड़ा नीरस होता है और वकीलोंको छोड़कर वे ही लोग उसके नज़दीक फटकते हैं जो दिवालेकी सूचनाओं और ऐसी ही दूसरी चीजोंका अध्ययन करना चाहते हैं। परन्तु ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें प्रकाशित सरकारी गजट इस सामान्य नियमका अपवाद है। उस गजटके अंक पढ़ने में प्रायः दिलचस्प होते हैं और, साथ ही, हममें से कुछके लिए दुःखद भी। उससे प्रकट होता है कि उपनिवेशमें सम्राटकी सरकार रंगके प्रश्नपर ब्रिटिश नीतिको बोअरोंकी नीतिमें पूरी तरह मिला देनेकी दिशामें छलांग भरती हुई प्रगति कर रही है। जैसे नया धर्मान्तरित मुल्ला जोर-जोरसे अजाँ देता है वैसे ही ऑरेंज रिवर उपनिवेशकी सरकार भी रंगके प्रश्नपर पूरी तरह बोअरोंके विचारकी बन जानेके कारण अपने उत्साहमें उनको भी मात दे रही है। पिछले ३१ दिसम्बरके (जो नीति-निर्धारणके लिए बहुत अनुकूल तारीख है) गजटमें ब्रैंडफोर्ट नगरके लिए प्रकाशित नियमोंमें "वतनी" शब्दकी एक नई ही परिभाषा दी गई है।

धारा ११४ में कहा गया है कि: इन नियमोंमें जहाँ कहीं 'वतनी' या 'वतनी लोग' शब्द आते हैं वहाँ, अगर प्रकरणसे और कोई अर्थ साफ-साफ न निकलता हो तो, वे स्त्रियों और पुरुषोंके और इनके बोधक होंगे और इनपर लागू होंगे: दक्षिण आफ्रिकाकी तमाम वतनी जातियोंके[१] सोलह सालकी आयुके, या सोलह सालकी संभावित आयुके, या उससे अधिक आयुके स्त्री या पुरुष; और तमाम रंगदार व्यक्ति एवं वे सब जो कानून या रिवाजके अनुसार वतनी या

  1. यहाँ मूलमें 'जगहों' शब्द भूलसे छपा प्रतीत होता है।