असफलता ही उचित पुरस्कार या, यों कहिए कि, कर्तव्यकी घोर अवहेलनाका योग्य दंड होगी। ब्रिटिश राज्यमें रहनेवाली जातियोंके लिए किसी वीरतापूर्ण त्यागकी भी जरूरत नहीं है। मुख्य आवश्यकता इस बातकी है कि धैर्य के साथ, लगातार और सौम्य वैधानिक प्रयत्न किया जाये। लगनसे सर्वत्र सफलता मिलती है। ब्रिटिश उपनिवेशोंमें तो वह और भी कारगर होती है। यदि ब्रिटिश तन्त्रकी चाल धीमी है, क्योंकि राष्ट्रका स्वभाव ही रूढ़िप्रिय है, तो वह लगन और एकताको जल्दी समझने और स्वीकार कर लेनेवाला भी है। एक भारतीय कहावत है, रोये बिना माँ भी बच्चेको दूध नहीं पिलाती। फिर, ब्रिटिश सरकार तो और भी कम सुननेवाली है। इसलिए हम आशा करते हैं कि दक्षिण आफ्रिका भरमें हमारे देशवासी ब्रिटिश संविधानके इस पहलूका सावधानीसे ध्यान रखेंगे और तबतक चैन नहीं लेंगे जबतक पूरा न्याय नहीं किया जाता।
इंडियन ओपिनियन, २१-१-१९०४
८६. डॉ० जेमिसन और एशियाई
डॉ० जेमिसनने[१] केप उपनिवेशके गवर्नर महोदयके सामने एक बड़ी माकूल तजवीज रखकर केपके बोंड दलको पंगु बना दिया है, और गवर्नरने उनका प्रस्ताव मान लिया है, यह वस्तुस्थिति योग्य डॉक्टर महोदयके दलको बहुत ही ठोस सहायता पहुँचायेगी। ट्रान्सवालमें चीनी मजदूर आनेवाले हैं, इस दृष्टिसे उन्होंने गवर्नरसे अनुरोध किया कि केप उपनिवेशके दरवाजे चीनियोंके लिए बन्द करनेका कानून बना दिया जाये। अपने साम्राज्य-निष्ठाके दावेके अनसार कि पाबन्दी सिर्फ गैर-ब्रिटिश एशियाइयोंपर ही लागू हो। इस प्रकार उन्होंने एशियाई ब्रिटिश प्रजाजनोंका दर्जा पहले-पहल स्वीकार किया। उन्होंने एक विधेयकका मसविदा भी स्वीकृतिके लिए पेश किया, और गवर्नरने गजटमें एक ऐसा विधेयक छाप कर अपनी प्रतिक्रिया प्रकट की है, जिसमें प्रगतिशील दलके उक्त नेताकी सिफारिशोंकी सभी जरूरी बातें अपना ली गई है। अब भी यह आशा की जा सकती है कि इस ऐन वक्तपर भी ट्रान्सवालके लोग ऐसी छलाँग न मारनेका फैसला करेंगे, जो भयंकर परिणामोंसे भरी हुई है; और वे उक्त विधेयकका पास होना अनावश्यक बना देंगे। क्योंकि, भले वह गैर-ब्रिटिश प्रजाजतोंपर लागू किया जानेको हो, वह बहुत कठोर है, और इसलिए, एक ब्रिटिश उपनिवेशके उपयुक्त नहीं है। इसके अतिरिक्त, इस प्रकारका कानून संघ-शासनकी प्रगतिको अनिश्चित कालके लिए रोक देगा। इसलिए अब भी ट्रान्सवालके लोगोंके लिए समय है कि वे स्थितिपर पुनः विचार करें और कम आपत्तिजनक उपायोंसे वर्तमान कठिनाइयोंको पार करें।
इंडियन ओपिनियन, २१-१-१९०४
- ↑ सर एल० एस० जेमिसन (१८५३-१९१७)ये १९०४-१९०८ तक केप कालोनीके प्रधानमन्त्री रहे थे।