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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/१६२

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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

उक्त रंगदार व्यक्तिको उक्त जिलेमें रहनेवाले किसी ऐसे गोरेको करारबन्द सेवामें रख देगा, जो उक्त कर चुकानेको रजामन्द हो। व्यवस्था यह है कि ऐसा हरएक करारनामा एक सालसे ज्यादाके लिए नहीं होगा।

इस प्रकार, यदि कोई रंगदार व्यक्ति अध्यादेशके अनुसार लगाया गया व्यक्ति-कर, अर्थात् एक पौंड वार्षिक नहीं चुकाता है तो उसे एक सालके लिए किसी ऐसे गोरेके साथ इकरारनामेके अधीन रखा जा सकता है, जो कर चुकानेको तैयार हो। और यह कर १८ से ७० वर्ष तककी उम्रके हरएक रंगदार मर्दको चुकाना होगा। इसमें बीमारी या ऐसे किसी भी कारणसे कोई छूट दिखाई नहीं देती; और ऐसा कठोर कानून बनाना—भले ही वह दक्षिण आफ्रिकाकी वतनी जातियोंपर ही लागू क्यों न होता हो—हमारे लिए गुलामीका कारण होगा। हमारे लिए अपनी भावनाओंको रोकना कठिन हो जाता है, जब हमें पता चलता है कि यह ब्रिटिश भारतीयोंपर भी लागू होता है, क्योंकि २०वीं धारामें हम पढ़ते हैं:

'रंगदार व्यक्ति' शब्द इस अध्यादेशके उद्देश्यको पूर्तिके लिए जिनके बोधक होंगे उनमें अरब, चीनी और दूसरे एशियाई और ऐसे ही अन्य सब लोग भी शामिल होंगे, जो कानून या रिवाजसे दक्षिण आफ्रिकामें रंगदार माने जाते हैं।

बात इतनी सी ही नहीं है कि उपनिवेश अपने दरवाजे भारतीयोंके प्रवेशके लिए बन्द रख रहा है, बल्कि जो थोड़ेसे भारतीय घरेलू नौकर इस उपनिवेशमें अपने शान्तिपूर्ण धन्धे कर रहे हैं, उनको लेकर भी उसके लिए ब्रिटिश भारतीयोंपर नये-नये अपमान लादते जाना जरूरी है। क्या इसीकी खातिर लड़ाई मोल ली गई थी और करोड़ों रुपये और हजारों जानें बरबाद की गई थीं? लॉर्ड मिलनरको दयालुतापूर्ण और उदार विचार रखनेका श्रेय प्राप्त है। उन्होंने कई बार कहा है कि उन्हें रंगके सम्बन्धमें कोई पूर्वग्रह नहीं है। तब क्या वे इस अध्यादेशको मंजूरी दे देंगे?

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ४-२-१९०४