१०३.सर गॉर्डन स्प्रिग ईस्ट लन्दनमें
सर गॉर्डन स्प्रिग[१] दुबारा चुने जाने के लिए ईस्ट लन्दनमें सिर-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। यह वैसा ही है, जैसे कि डूबता तिनकेका सहारा लेता है। पहले कभी उन्होंने वतनी निर्वाचकोंके सामने उनकी बस्तीमें भाषण नहीं दिया, परन्तु चूँकि ईस्ट लन्दनके लोगोंने उनको सूखा जवाब दे दिया मालूम होता है, इसलिए उन्होंने बतनी मतदाताओंकी बस्तीमें जाकर उनकी सभामें भाषण देनेका निश्चय किया। परन्तु सर गॉर्डनके दुर्भाग्यसे सभाने उन परममाननीयके प्रति सर्वसम्मतिसे अविश्वास प्रकट कर दिया। सभाके वक्ताओंमें से एकने उन्हें ठीक ही याद दिलाया कि उन्होंने बतनियोंके लिए कुछ नहीं किया और केप उपनिवेशमें ईस्ट लन्दन ही एक ऐसी जगह है जहाँ वतनियोंको पैदल-पटरियोंपर चलनेका अधिकार नहीं है। वक्ताने सर गॉर्डनपर ठीक ही दोष लगाया कि उन्होंने उपर्युक्त नागरिक नियमोंकी मंजूरी दी थी और वे (सर गॉर्डन) यही लूला-लंगड़ा जवाब दे सके कि यह नगरपालिकाका मामला है, और वे नगर-परिषदकी कार्रवाईके न्यायाधीश नहीं बनना चाहते। लेकिन, हमारे लिए तत्काल दिलचस्पीकी चीज तो यह है। कि ईस्ट लन्दनके महापौरने इस प्रश्नपर अप्रत्यक्ष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा:
किसी हदतक नियमन करनेवाले कानूनोंका कारण जलपान-गृहोंका फिरसे खुलना है, क्योंकि जब वतनी लोग शराब पिये होते हैं तब वे किसीका, यहाँतक कि गोरी महिलाओंका भी, लिहाज नहीं करते। बहुत सम्भव है जलपान-गृह फिरसे बन्द कर दिये जायें तो नियम पालन करानेकी जरूरत ही न होगी।
अगर हकीकत वही है जो महापौरने बताई है तो, जहाँतक वतनियोंका सम्बन्ध है, नियमोंके लिए कुछ बहाना दिखाई देता है, यद्यपि हमारी समझमें नहीं आता कि ऐसे लोगोंको नशेमें चूर होने और गड़बड़ी मचाने तथा रुकावट डालनेके लिए मुकदमे चलाकर सजा क्यों नहीं दी जा सकती। ठीक तरीका तो, निस्सन्देह, कुछ इसी तरह, और जुर्म-सम्बन्धी साधारण नियमोंके अनुसार, इस बुराईसे निपटनेका होगा। कुछ भी हो, ईस्ट लन्दनमें रहनेवाले मुट्ठीभर भारतीयोंपर तो यह नियम लागू करनेका ऐसा कोई बहाना हो नहीं सकता, क्योंकि उनके खिलाफ किसीने नशेबाजी करने या रुकावट डालनेका कभी कोई इलजाम नहीं लगाया है। जहाँतक हमारी जानकारी है, ईस्ट लन्दनके भारतीयोंमें नशेबाजीकी कभी कोई वारदात नहीं हुई है। हमें मालूम हुआ है कि ईस्ट लंदनके भारतीय संघने इस मामले में वहाँकी नगर-परिषदसे निवेदन किया है और हम सच्चे दिलसे आशा रखते हैं कि अगर इन नियमोंको जारी करनेका कारण वही है, जो महापौरने प्रकट किया है, तो जहांतक ये ब्रिटिश भारतीयोंपर लागू होते हैं, इन्हें रद कर दिया जायेगा।
इंडियन ओपिनियन, १८-२-१९०४
- ↑ चार बार केप कालोनीके प्रधानमन्त्री। १९०४ में श्री जेमिसनके हटनेपर प्रधानमन्त्री हुए थे।