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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/१८९

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"स्टार" के प्रतिनिधिकी भेंट

है। लेकिन, मैं आशा करता हूँ, इसी बीच, आप भी जो-कुछ जरूरी हो वह सब करनेकी कृपा करेंगे।

मुझे ज्ञात हुआ है कि ये आदमी खानोंसे आये हैं, जहाँ ये काम करते रहे हैं। अगर आप बस्तीके खाली बाड़ोंमें से एक बाड़ा अस्थायी अस्पतालके कामके लिए दे दें तो इसकी बहुत सराहना की जायेगी। मैं मानता हूँ कि इन लोगोंकी देखभाल करना नगर परिषदका फर्ज है। फिर भी, भारतीय समाज चन्दा इकट्ठा करेगा और इसके लिए आंशिक रूपसे स्थानको सज्जित कर लेगा। डॉ० गॉडफ्रे, जो हालमें ही ग्लासगोसे लौटे हैं, सम्भवत: मुफ्त या नाम-मात्रकी फीस लेकर बीमारोंकी देखभाल करेंगे। लेकिन मैं मामला पूरी तरह आपके हाथोंमें छोड़ता हूँ।

आपका सच्चा
मो० क० गांधी

[विशेष कथन][]

मार्चकी पहली तारीखको एक छोटासा रुक्का[] लिखकर डॉ० पोर्टरको सूचना दी गई थी कि मेरी रायमें प्लेग फैल गया है। ८ मार्चका पत्र उसका उत्तर है।

उस पत्रकी नकल नहीं रखी गई थी और वह सम्भवतः डॉ० पोर्टरके घरपर है; इसलिए स्वास्थ्य-कार्यालय नकल नहीं दे सकता।

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ९-४-१९०४

११८. "स्टार" के प्रतिनिधिकी भेंट[]

जोहानिसबर्ग
मार्च २१, १९०४

प्रसिद्ध भारतीय वकील श्री मो० क० गांधी दो प्लेग-समितियोंमें काम कर चुके हैं और दो वर्षतक स्वयंसेवकके तौरपर प्लेग-पीड़ितोंके परिचारक रहे हैं। उन्होंने आज प्रातः स्टारके प्रतिनिधिसे मुलाकातमें कहा कि भारतीय समाजने सम्बन्धित अधिकारियोंको लगभग दो मास पूर्व चेतावनी दे दी थी कि उन्हें बड़े सन्देहजनक चिह्न दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद डॉ० पोर्टरको एक और पत्र भेजा गया, जिसमें कहा गया था कि प्लेगके चिह्न दिखाई देने लगे हैं। चार दिन बाद श्री गांधीने बयान दिया कि उन्हें डॉ० पोर्टरसे इस आशयका खत मिला कि स्वास्थ्य-अधिकारीको उक्त कथनके समर्थनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़े। किन्तु शुक्रवारको श्री गांधीको सूचना मिली कि कुछ भारतीय "मृत या मरणासन्न" स्थितिमें रिक्शागाड़ियों द्वारा लाकर बस्तीमें "डाले" जा रहे हैं। अधिकारियोंको सूचित करनेके बाद श्री गांधी डॉ० गॉडफ्रे, डॉ० पेरारा और एक स्वास्थ्य-निरीक्षकको साथ लेकर संदिग्ध इलाके में गये और उन्होंने एक मकानमें, जिसे भारतीय समाजने स्वयं अलग कर दिया था, प्रवेश करनेपर १४ बीमार

  1. पत्र-व्यवहार इस कैफियतके साथ अखबारोंको दे दिया गया था।
  2. यह उपलब्ध नहीं है।
  3. यह भेंट बादको २४-३-१९०४ के इंडियन ओपिनियनमें प्रकाशित हुई थी।