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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/१९६

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१२२. प्लेग

आखिर जोहानिसबर्ग में प्लेग फैल गया है। अबतक लगभग ६० व्यक्ति उसके शिकार हो चुके हैं, जिनमें ४६ एशियाई हैं, ६ गोरे और ४ वतनी। रोगियोंमें मृत्यु-संख्या एक तरहसे सौ फीसदी रही है। यह एक भयंकर वस्तुस्थिति है। भारतमें ऐसा नहीं होता, और पहले कभी दक्षिण आफ्रिकामें भी ऐसा नहीं हुआ। इसलिए जोहानिसबर्गके प्लेगकी किस्म अबतक देखी गई किस्मोंमें सबसे ज्यादा घातक है। फिर, उसके शिकार इतने थोड़े समयमें मरे हैं कि विश्वास नहीं होता। जो पहले-पहले थोड़ीसी खाँसी और हलका-सा ज्वर मालूम होता है, वही कुछ घंटोंमें, या दूसरे दिन, तेज बुखार, थूकमें खून और जोरकी छटपटाहटमें बदल जाता है। रोगीका कष्ट भयंकर होता है। तीसरे दिन सन्निपात और मौत आती है। अन्तिम स्थितिमें बीमार इतना थक जाता है कि यद्यपि उसके मुखपर घोर पीड़ा झलकती है, तो भी वह बेचारा उसे वाणी द्वारा प्रकट नहीं कर सकता। हमारे संवाददाताने इसका कारण बताया है। जोहानिसबर्गकी लोक-स्वास्थ्य समिति अब अपनी पूरी ताकतसे लगी है; परन्तु इससे उसकी पिछली गफलतका दोष मिट नहीं जाता—मिट नहीं सकता। उसे डॉ० पोर्टरके नाम लिखे गये पत्रमें समयपर चेतावनी दे दी गई थी और, हमें मालूम हुआ है, वह अध्यक्षतक पहुँचा भी दी गई थी; किन्तु उसपर ध्यान ही नहीं दिया गया। स्थानके बारेमें झगड़नेमें कीमती वक्त बरबाद कर दिया गया। इस बीच में नगर परिषदके कर-संग्राहक भीड़-भाड़ सम्बन्धी नियमोंकी परवाह न करके अस्वच्छ क्षेत्रमें किरायेदारोंको ठूसते रहे। सफाईकी सर्वथा उपेक्षा की गई। किरायेदार भी व्यक्तिश: इस मामले में कुछ कर नहीं सकते थे। ट्रान्सवालके लोग अब इसकी भारी कीमत चुका रहे हैं।

लेकिन हमें गड़े मुर्दे उखाड़ना पसंद नहीं। विशेष प्लेग-अफसर डॉ० पेक्स और डॉ० मैकेंजी[] बडे साहस और निष्ठासे इस विभीषिकासे लड़ रहे हैं। समितिने खतरे लिया है। इसलिये वह अपनी कोशिशोंमें कोई कोर-कसर नहीं रख रही। डॉक्टरोंको असीम सत्ता दे दी है और इनको निरीक्षकोंके अच्छे अमलेकी सहायता प्राप्त है। उनका प्लेगपर अच्छा काबू हो गया है और अब उसकी भयंकरता मिट गई है। लोक-स्वास्थ्य समितिने इस प्रकार अपनी मुजरिमाना गफलतका प्रायश्चित्त कर लिया है। लेकिन अफसोसके साथ स्वीकार करना पड़ता है कि इस दोषसे भारतीय समाज मुक्त नहीं ठहराया जा सकता। अन्य समाजोंकी अपेक्षा उसपर जो दण्ड पड़ा है, उसका वह, हमें भय है, थोड़ा या बहुत पात्र है ही। भारतीयोंको सफाईकी अपेक्षा और भीड़-भाड़के विरुद्ध नाराजगी जाहिर करनी चाहिए थी। यह बहाना नहीं किया जा सकता कि नगर-परिषदने ऐसी स्थिति पैदा होने दी। जहाँ हम अकसर राजनीतिक हेतुसे किये जानेवाले अतिशयोक्तिपूर्ण आरोपों और तीव्र आक्षेपोंसे अपने देशवासियोंकी रक्षा करने में सबसे आगे हैं, वहाँ अगर अपने कर्तव्यपर दृढ़ रह कर उनके दोष उनको न बतायें तो अपने पेशेके प्रति वफादार नहीं होंगे। भारतीयों में प्लेगसे ४७ व्यक्तियोंका बीमार होना इस बातका निश्चित प्रमाण है कि हमारे गरीब तबकेके देशबन्धुओंके निवासस्थानोंमें कितनी कम सफाई रखी जाती है।

  1. जिला सर्जन जिन्हें नगर परिषदने इसी कार्यके लिए नियुक्त किया था।