श्री रॉयने[२], अगर उनके बारेमें यह समाचार सही है तो, इस बातसे इनकार किया है कि स्वास्थ्य अधिकारी अथवा लोक स्वास्थ्य समिति दोनोंमें से किसी को भी कभी प्लेगके बीमारोंकी सूचना दी गई थी। इस इनकारको देखते हुए और इसलिए कि, अब (देरसे ही सही) लोक-स्वास्थ्य समितिकी कोशिशों, डॉ० पेक्स और डॉ० मैकेंजी की सहायता और प्लेगके प्रकोपका पता लगनेके बाद भव्य मौसमके कारण बीमारी काबूमें आ गई है, और इसलिए जनता निर्विकार होकर निर्णय करनेकी स्थितिमें है, मैं श्री रॉयकी सम्मतिसे डॉ० पोर्टर और अपने बीचका पत्र-व्यवहार प्रकाशनार्थ भेजनेका साहस करता हूँ।
इससे पता चलेगा कि आनेवाली घटनाओंकी काफी चेतावनी पिछली ११ फरवरीको, अर्थात् हम लोगोंमें प्लेगके अस्तित्वका सरकारी तौरपर पता लगनेके ठीक १ महीना और ९ दिन पहले, दे दी गई थी। उसे १५ फरवरीको जोरदार शब्दोंमें (जो, मेरे खयालसे, बादकी घटनाओंसे बिलकुल उचित सिद्ध हुए है) दुहरा दिया गया था। १ मार्चको डॉ० पोर्टरको एक पत्र लिखा गया था जिसमें उन्हें निश्चित सूचना दी गई थी कि, मेरी नम्र रायमें, प्लेग वस्तुतः फैल गया है।
क्या इससे अधिक निश्चित बात और कोई हो सकती थी? इसका शायद एक ही जवाब है। जो सूचना दी गई थी वह गैरसरकारी थी और एक साधारण व्यक्तिकी तरफसे थी। परन्तु क्या मुर्दाघरके कागजातमें उसका दारुण समर्थन उपलब्ध नहीं था जिनसे, हमें सरकारी तौरपर बताया गया है, यह सिद्ध होता था कि अस्वच्छ क्षेत्रमें मृत्यु-संख्या गैर-मामूली तौरपर बढ़ गई है? नहीं, साहब, सरकारी तौरपर जोरदार उपाय किये जाने के पहले तो उस दारुण शोकान्त घटनाके प्रत्यक्ष दर्शनकी जरूरत थी, जो पिछले महीनेकी १८, १९ और २० तारीखोंको घटित हुई! जो साफ तौरपर सरकारी कर्तव्य था वह स्वयंसेवकोंके पूरा करने के लिए छोड़ दिया गया था। अबतक रोगने अपना घातक पंजा रोगियोंपर जमा लिया था, इसलिए उन स्वयंसेवकोंको एक प्रकारका नरक-कुण्ड ही मॅझाना पड़ा।
मुझे अस्वच्छ क्षेत्रके उस सजीव, यद्यपि काल्पनिक, वर्णनकी याद दिलानेकी जरूरत नहीं, जो १९०२ के मध्यमें मेजर ओ मियाराने किया था और जिसे १९०३ में डॉ० पोर्टरने दुहराया था। लोक-स्वास्थ्यके लिए उस समय भी खतरा इतना तात्कालिक समझा गया था कि नगर-परिषदको सलाह दी गई थी कि वह अधिग्रहणकी कार्रवाईके लिए उस समयतक प्रतीक्षा न करे जबतक जोहानिसबर्गको निर्वाचित परिषद प्राप्त नहीं हो जाती। १९०३ में