सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/२०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१२७. ट्रान्सवालमें प्लेग


यद्यपि इस अभिशापने उपनिवेशका पूरी तरह पिण्ड नहीं छोड़ा है, फिर भी अब इसकी भयानकता हट गई है और सरकारी तौरपर विज्ञापित किया गया है कि चूँकि निमोनियावाला प्लेग अब गिल्टीवाले प्लेगमें बदल गया है, इसलिए प्लेगकी जो थोड़ीसी घटनाएँ हो सकती हैं उनके इतनी घातक होने की आशंका नहीं है । इस कारण आतंकित होनेकी तो जरूरत नहीं है; किन्तु फिर भी जोहानिसबर्गके बाहर ऐसे कदम उठाये जा रहे हैं जो दो बातोंके आधार- पर ही उचित कहे जा सकते हैं।—या तो प्लेग बढ़ रहा है या जो गैर-मामूली पाबन्दियाँ खास तौरपर एशियाइयोंपर ही लागू की जा रही हैं उनके पीछे कोई छिपा हेतु है। स्पष्ट ही डॉ० पेक्सने जब यह कहा था कि दूरस्थ जिलोंमें जो कदम उठाये जा रहे हैं उनका हेतु प्लेगको रोकनेकी अपेक्षा भारतीयोंका उन्मूलन करना अधिक है, तब उन्होंने सच ही कहा था । मिसाल के तौरपर क्रूगर्सडॉर्पमें, जहाँ प्लेगकी एक भी घटना नहीं हुई और जहाँ पृथक बस्ती में रहनेवाले भारतीयों का स्वास्थ्य उत्तम था, अधिकारी अचानक इस निर्णय पर पहुँच गये कि उन्हें बस्तीके तमाम निवासियोंको शहरसे दूर किसी स्थानपर हटा देना चाहिए। स्वभावतः उन गरीब लोगोंने ऐसी मनमानी कार्रवाईपर रोष प्रकट किया। परन्तु यह देखते हुए कि भारतीयोंको बहुत बड़ा द्वेष-भाव सहना पड़ रहा है और उनमें सबसे पहले प्लेग फैल जानेके कारण वह और भी बढ़ गया है, उस वक्त यह उचित समझा गया कि लोग अधिकारियोंकी इच्छाके अनुसार चलें। इसलिए श्री रिच क्रूगर्सडॉर्प गये और उन्होंने लोगोंको स्थिति समझाई। फलतः अब थोड़ेसे दुकानदारोंको छोड़कर वे सभी शहरसे दूर एक अस्थायी शिविर में चले गये हैं । परन्तु बात इतनी ही नहीं है । बस्तीके अधिकांश निवासी, जिन्हें इस तरह हटाया गया है, फेरीवाले हैं। वे इस द्वेषके कारण बिलकुल बरबाद हो गये हैं और इस समय मित्रोंके दानपर गुजर कर रहे हैं, क्योंकि नगरपालिकाने लोगोंको खिलाने-पिलानेका भार नहीं लिया है । व्यक्तिगत रूपमें लोग फेरीवालोंसे वास्ता न रखें तो इसमें किसीका जोर भले ही न हो, लेकिन नगरपालिकाकी उनके लिए मंडीके दरवाजे बिलकुल बन्द करनेकी कार्रवाईके लिए क्या कहा जाये ? वह कठोर, अनावश्यक और गैरकानूनी मालूम होती है। पीटर्सबर्ग में भी स्थिति बहुत-कुछ ऐसी है । परन्तु भारतीयोंके विरुद्ध युद्ध छेड़नेवालोंकी सूचीमें पॉचेफस्ट्रम सबसे आगे है। जब दो या तीन भारतीय जोहानिसबर्गसे रेलगाड़ी द्वारा वहाँ पहुँचे तो उन्हें पॉचेफस्ट्रूमके अधिकारी पृथक बस्ती में ले गये। फिर, बस्तीके लोगोंके बीच उनकी उपस्थितिको बहाना बनाकर सारी बस्तीको सूतक (क्वारंटीन) में रखा गया, और इस प्रकार भारतीय व्यापारको पूरी तरह उखाड़ दिया गया। याद रहे कि काफिर लोगोंको अछूता छोड़ दिया गया है, क्योंकि

[]

  1. १. दादाभाई नौरोजीके नाम गांधीजीके जिस बिना तारीखके पत्रके साथ इस टिप्पणीकी अग्रिम प्रतिलिपि नत्थी की गई थी, उसकी पूरी प्रति उपलब्ध नहीं है । परन्तु दादाभाई नौरोजीने इसे भारत-मन्त्रीके पास भेजते हुए २५ अप्रैलको लिखा था : “मेरे संवाददाताने अपने पत्र लिखा है कि इसके साथ जो स्मृतिपत्र नत्थी किया जा रहा है उसमें ट्रान्सवालकी स्थितिका काफी अच्छा संक्षिप्त विवरण है । उसने यह भी लिखा है कि प्लेगका यह आक्रमण भारतीयोंपर और भी नियन्त्रण लगानेके लिए काममें लाया जायेगा । 'इसलिए बहुत आवश्यक है। कि दोष सही लोगोंपर मढ़ा जाये । यदि जोहानिसबर्गके अधिकारियोंने घोर उपेक्षा न की होती तो वहाँ कभी प्लेग फैलता ही नहीं।” (सी० भ० २९१, जिल्द ७५, इंडिया ऑफिस)