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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/२०६

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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

भरा है तो वे उस देशकी तरफ बेतहाशा दौड़ पड़ेंगे। परन्तु यह दुःखकी बात है कि वे अपने उपनिवेशोंमें आकर बसनेवाले सिख सिपाहियों या उनके देशवासियोंका स्वागत करनेके लिए बिलकुल तैयार नहीं हैं । औपनिवेशिक नेताओंको यह खयाल होना वांछनीय है कि उनका यह असंगत रवैया कुछ ऐसा है जिसमें सुधार होना चाहिए। सब लेते ही रहना और बदलेमें कुछ देना नहीं, यह लेनेवालेके लिए बहुत सन्तोषजनक हो सकता है; परन्तु इसे न्यायपूर्ण अथवा उचित तो नहीं माना जा सकता।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-४-१९०४

१२९. पत्र : “रैंड डेली मेल " को

जोहानिसबर्ग
अप्रैल १४, १९०४

सेवामें
सम्पादक रैंड डेली मेल
महोदय,

प्लेग फैलनेके बारेमें मैंने जो वक्तव्य दिये थे उनका खण्डन करते हुए लोक-स्वास्थ्य समितिने अपने प्रतिवेदनमें कुछ ऐसी बातें कही हैं, जिनके कारण थोड़ा-सा स्पष्टीकरण करनेके लिए आपसे स्थान माँगनेकी जरूरत है।

ध्यान देनेकी बात है, अब इससे इनकार नहीं किया जाता कि मैंने प्लेग फैलनेके बारेमें १ मार्चको सूचना दे दी थी। गये हैं,

उक्त रिपोर्ट में मेरे इस बयानका खण्डन करनेकी कोशिश की गई है जिनसे कि श्मशान के कागजात से १ मार्चको दी गई मेरी रायका भीषण रूपमें समर्थन हुआ है। जुलाई १९०३ से इस वर्षके फरवरी मासतक की अवधिके आँकड़े पेश किये प्रकट होता है कि किसी भी अकेले मासमें निमोनियासे अधिकतम मृत्यु-संख्या सात थी; और उसी कारणसे औसत मृत्यु-संख्या प्रतिमास ४.७५ थी ।

पिछले मार्च मासके पहले १७ दिनोंमें इसी कारणसे चौदह मृत्युऍ हुई थीं, अर्थात् मौतकी दर २५.३५ प्रतिमास थी। दूसरे शब्दोंमें, मेरे पत्रकी तारीखके बादके पहले पखवारेमें मृत्युसंख्या पिछले आठ मासोंकी सबसे अधिक मृत्युसंख्याकी साढ़े तीन गुनी थी, और उसी कालकी औसत मासिक मृत्युसंख्याकी छः गुनी थी ।

इसलिए मैं फिर पूछनेका साहस करता हूँ कि पिछले १ मार्चको प्रकट किये गये मतका इससे भीषण रूपमें समर्थन होता है या नहीं ? यह तो स्वामख्वाह मान लिया गया है कि मैंने जो मृत्यु-संख्या बताई है उसका १ मार्चसे पहले के कालसे कोई सम्बन्ध है। फरवरी में

[]

  1. १. यह जोहानिसबर्गकी नगर परिषदको ११ अप्रैलको दिया गया था और २० अप्रैलको उसकी विशेष बठकी कार्यवाही में शामिल किया गया था । ( कालोनियल ऑफिस रेकर्ड्स : साउथ आफ्रिका, जनरल, १९०४)।