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१३३. रंगके खिलाफ लड़ाई

मार्च ३१ के ऑरेंज रिवर उपनिवेशके गज़टमें रजिस्टर्ड गाड़ियोंके लिए संयुक्त स्वास्थ्य-निकायके ये विनियम छपे हैं:

कोई गाड़ीका मालिक जो अपनी गाड़ीको केवल रंगदार यात्रियों को ही ले जानेके लिए इस्तेमाल करना चाहता है, टाउन क्लार्कसे एक तख्ती प्राप्त कर सकता है जिसपर 'रंगदार यात्रियोंके लिए' शब्द साफ तौरपर छपे होंगे और जो बाहरकी तरफ प्रमुख रूपमें गाड़ीके पीछे या बाई और लगाई जायेगी।

किसी रंगदार व्यक्तिको सिवा उन रजिस्टर्ड गाड़ियोंके, जो इसी कामके लिए अलग की गई हों और जिनपर पहचानके लिए पहले बतायी हुई रंगीन तख्ती हो, किसी रजिस्टर्ड गाड़ीमें सफर नहीं करने दिया जायेगा।

हमने रंगदार लोगोंके विरुद्ध ऑरेंज रिवर उपनिवेशकी सरकारके जिद-भरे विरोधी रवैयेकी इतनी बार चर्चा की है कि हम अपनी बातपर जोर देनेके लिए उपर्युक्त अंशोंकी ओर अपने पाठकोंका केवल ध्यान आकर्षित कर देते हैं। अधिक टिप्पणीकी जरूरत नहीं है।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १६-४-१९०४


१३४. शिविरका जीवन'

[१]

अप्रैल २० [१९०४] प्लेगका आजतकका लेखा-जोखा यह है: एशियाई; ३५ वर्तनी। इनमेंसे प्लेग के प्रमाणित रोगी १५ गोरे; ४ रंगदार (जिनमें मलायी भी शामिल हैं); ५४ मृत्युऐं—७ गोरे; ५१ एशियाई; १४ वतनी। सन्दिग्धों में ३ गोरे, १ एशियाई और २५ वतनी हैं। आँकड़े जोहानिसबर्गके हैं। जस्टिन में प्लेग प्रमाणित रोगी ५ वतनी और १ एशियाई हुए हैं। सन्दिग्धोंमें एशियाई कोई नहीं और वतनी १३ हैं। इनमें से एकमात्र बीमार एशियाई मर गया है। बेनोनी में प्रमाणित प्लेगका रोगी केवल एक वतनी हुआ है और वह मर गया है। क्रूगर्सडॉर्पमें एक वतनी प्लेगका मरीज था, और ५ सन्दिग्ध। सन्दिग्ध भी वतनी थे। उनमें से तीन प्लेगके रोगी सिद्ध नहीं हुए। इस प्रकार, देखा जायेगा कि, एशियाई रोगी एक तरहसे वे ही थे जो पहले दौर में बीमार हुए। वृद्धि ज्यादातर वतनी बीमारोंमें और थोड़ी-सी गोरे बीमारोंमें भी हुई। जोहानिसबर्गसे बाहरके जिलोंमें, क्रूगर्सडॉर्प में और बेनोनीमें कोई एशियाई बीमार नहीं हुआ। जर्मिस्टनमें एक हुआ। इस प्रकार, लिखते समयतक पहले दिया हुआ बयान, कि यह बीमारी एशियाईको ही खास तौरपर नहीं होती, अब भी सही है। किन्तु क्लिपस्प्रूटके शिविरमें अभीतक अत्यन्त

  1. यह "हमारे जोहानिसबर्ग संवाददातासे प्राप्त" रूपमें प्रकाशित हुआ था।