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क्रूगर्सडॉर्प और ब्रिटिश भारतीय


गरीब तबकेके भारतीय जानते हैं, वैसी सफाई रखनेकी सत्ता उनसे २६ सितम्बरको छीन ली गई थे। यह इतनी बुरी बात थी कि उन्होंने इसके विरुद्ध जोरदार आवाज उठाई और २६ सितम्बरके बाद बस्तीमें नगर परिषदकी सीधी देखरेख और नियन्त्रण में जो भीड़-भाड़ हुई वह ऐसी थी जिसके वे आदी नहीं थे और यद्यपि वे खुद उससे बच निकलना चाहते थे, फिर भी परिषदने उनके लिए कोई प्रबन्ध नहीं किया, इसलिए वे लाचार थे। परिषद सचमुच प्लेग फैलनेका पता लगनेके बाद चेती—इसपर यहाँ विचार करना अप्रासंगिक है, जब हम प्रथम कारणपर विचार कर रहे हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २३-४-१९०४

१३६. क्रूगर्सडॉर्प और ब्रिटिश भारतीय"


क्रूगर्सडॉर्प नगर-परिषद ने सामान्य प्रयोजन समिति (जनरल परपज़ेज़ कमिटी) की इस सिफारिशको मंजूर कर लिया है कि किसी रंगदार व्यक्तिको रातके ९ बजेसे ४ बजेके वीचके समय में घरसे बाहर निकलनेकी इजाजत नहीं होनी चाहिए और न ऐसे किसी व्यक्तिको पक्की या कच्ची पैदल- पटरीपर चलने, जाने या रहनेकी आज्ञा ही होनी चाहिए। 'रंगदार व्यक्ति" संज्ञाके प्रयोगसे क्रूगर्सडॉर्प नगरपालिकाका मतलब ब्रिटिश भारतीयोंसे ही हो सकता है; क्योंकि वत-नियोंके अतिरिक्त क्रूगर्सडॉर्प में एकमात्र रंगदार लोग शायद मुट्ठीभर ब्रिटिश भारतीय ही हैं। हम मानते हैं कि यह सिफारिश ट्रान्सवालमें प्लेग फैलनेका एक परिणाम है। नगरपालिकाके तत्सम्बन्धी कार्य विवरणसे, जिसे हम अन्यत्र उद्धृत कर रहे हैं, मालूम होता है कि इस संस्थाकी राय में प्लेगका प्रकोप जोहानिसबर्गकी नगर परिषदकी गफलतसे हुआ। फिर भी परिषदके सदस्य अपराधी पक्षको तो दण्ड देना नहीं चाहते, जो निश्चय ही उनके लिए बहुत बलवान है; परन्तु निर्दोषोंको सजा देना चाहते हैं, जो सर्वथा शक्तिहीन हैं। हम चिन्ताके साथ देखेंगे कि परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नरका इस सिफारिशपर क्या खयाल होता है। और इस बीच क्या हम यह आशा कर सकते हैं कि ऐसे स्पष्ट रूपमें अन्यायपूर्ण नियमपर परमश्रेष्ठकी स्वीकृति नहीं मिलेगी?

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २३-४-१९०४