वतनी और एशियाइयोंके रहनेके लिए बस्तियोंके रूपमें नगरपालिकाके भाग निर्दिष्ट करना और अलग कर देना, और समय-समयपर बदलना और इन बस्तियोंको खतम कर देना। जिन शर्तोंपर एशियाई और वतनी इन बस्तियोंमें रह सकते हैं और इस प्रकार रहनेके लिए उन्हें जो शुल्क, किराया और झोंपड़ी कर देना है उनकी व्यवस्था करना और ऐसे निवासस्थानोंकी और उनमें कोई घोड़े, मवेशी, बैल, भेड़ें या चीजें हों तो उनकी रजिस्ट्रीका इन्तजाम करना; और पशुओंकी चराईके लिए आम चरागाहका उपयोग विनि- यमित या निषिद्ध करना। इन बस्तियोंके लिए अधीक्षकों और मुखियोंकी नियुक्तिका प्रबन्ध करना और उनके कर्त्तव्यों और अधिकारोंका विनियमन करना और इन अधिकारियोंके कर्त्तव्यपालनमें बाधा डाली जाये तो उसे रोकना। इन बस्तियोंके भीतर दुकानों, मंडियों और व्यापारका विनियमन करना, इजाजत देना या मनाही करना। इन बस्तियोंमें रहनेके लिए वतनियों और एशियाइयोंको परवाने देना या न देना और उस प्रणालीका विनियमन करना, जिसके अनुसार उन लोगोंको हटाया जा सके जो रहनेके हकदार न हों। और उन सीमाओंको मुकर्रर करना और समय-समयपर बदलना जिनके भीतर वर्तानियों और एशियाइयोंके लिए अपने मालिक या निरीक्षक या पुलिसके कप्तान या बस्तीके व्यवस्था-पकके लिखित परवाने या प्रमाणपत्रके बिना उन सीमाओंके भीतरके रास्तों, सार्वजनिक स्थानों या आम सड़कोंपर जाना जायज नहीं होगा; और सड़कों या खुली जगहों या उनकी पक्की पैदल-पटरियोंको नियुक्त करना जिनपर वतनी और एशियाई चल न सकें या जा न सकें। नदियों और समुद्रके उन भागोंका विनियमन और पृथक्करण करना, जहाँ वतनी और एशियाई स्नान न कर सकें।
इस असाधारण धाराके नियममें कहा गया है:
बस्ती, कर्फ्यू और पैदल-पटरीके व्यवस्था-सम्बन्धी विनियम नगरपालिकाकी सीमामें स्थित उस भू-सम्पत्तिके रजिस्टर्ड स्वामी या अधिकारीपर लागू नहीं होंगे, जिसका मूल्य नगरपालिकाके मतलबके लिए ७५ पौंडसे कम न हो; और यह शर्त होगी कि इस आशयका एक प्रमाणपत्र टाउन क्लार्कसे प्राप्त कर लिया गया हो, और यह प्रमाणपत्र मुफ्त दिया जायेगा।
इस प्रकार, इन सूचनाओंका उद्देश्य यह है कि ब्रिटिश भारतीयोंको ऐसे प्रमाणपत्र प्राप्त करनेके लिए बाध्य किया जाये। स्वभावतः जो लोग समझते हैं कि ब्रिटिश प्रजाजन होनेके नाते उन्हें नागरिकताके वही अधिकार होने चाहिए जो दूसरोंको हैं, वे अपनी स्वतन्त्रतामें कोई हस्तक्षेप किया जानेका विरोध करते हैं और प्रमाणपत्र प्राप्त करनेके बारेमें प्रबल आपत्ति करते हैं। सर मंचरजीने, जो मानवीय भावनाओंसे प्रेरित होकर दक्षिण आफ्रिका निवासी ब्रिटिश भारतीयोंकी सेवा कर रहे हैं, श्री लिटिलटनसे सहायताकी प्रार्थना की है और अब इस मामलेकी स्थानीय सरकार द्वारा जाँच की जा रही है। हमें विश्वास है कि जाँचके परिणाम स्वरूप ईस्ट लन्दनमें बसे भारतीयोंके साथ पूरा न्याय होगा और उन्हें पृथक बस्तियोंके बाहर रह सकने के लिए परवाने लेकर चलनेका अपमान नहीं सहना पड़ेगा। हमें मालूम हुआ है कि जिन निवासियोंको मकान छोड़ने की सूचनाएँ मिली हैं, उनके मकान हर तरहसे अच्छे और साफ-सुथरी हालत में हैं। इसके अतिरिक्त ईस्ट लन्दनकी भारतीय आबादी बहुत थोड़ी है और हमें यह परले सिरेकी