लड़ाईके पीछे सर्वशक्तिमान ब्रिटिश सरकार ब्रिटिश प्रजाके एक भागको संरक्षण देनेसे महज़ इसलिए इनकार करती है कि वह अपेक्षाकृत दुर्बल पक्ष है। अब ब्रिटिश भारतीयोंपर और अधिक निर्योग्यताएँ लागू करनेका कोई प्रयत्न किया जाये तो क्या उपनिवेश कार्यालय उसे मजबूतीसे अपने पैर तले कुचलेगा? क्या भारत सरकार अपना कर्तव्य पूरा करेगी?
इंडिया, १-७-१९०४
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१४९. अभिनन्दनपत्र : लेफ्टिनेंट गवर्नरको[१]
हाईडेलबर्ग
मई १८, १९०४
परमश्रेष्ठ सर आर्थर लाली
लेफ्टिनेंट गवर्नर
हाइडेलबर्ग-निवासी ब्रिटिश भारतीयोंके हम नीचे हस्ताक्षर करनेवाले प्रतिनिधि इस नगर में आपका समादरपूर्वक स्वागत करते हैं और इस अवसरका लाभ उठाते हुए यह तथ्य परमश्रेष्ठके ध्यानमें लाते हैं कि हाइडेलबर्गमें जो एशियाई बाजार स्थापित किया जा रहा है वह नगरसे बहुत ही ज्यादा दूर है। यद्यपि परीक्षात्मक मुकदमे के निर्णयको देखते हुए दूरीका बहुत अधिक महत्त्व नहीं है, फिर भी हम आदरपूर्वक निवेदन करते हैं कि फेरीवालों और दूसरे लोगोंके लिए वह जगह् असुविधाजनक होगी। हम यह विश्वास करनेकी धृष्टता करते हैं कि स्वच्छताके जो नियम आवश्यक समझे जायेंगे, उनका पालन करनेपर सरकार हमें भारतीय परवाना सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालयके निर्णयके फलका लाभ उठाने देगी।
हम यह तथ्य भी आपके ध्यानमें लाना चाहते हैं कि जिस बाड़े में मसजिद बनायी गई है वह अभीतक मुस्लिम समाजके नाम पंजीकृत नहीं किया गया है। अन्तमें हम कामना करते हैं कि हमारे बीच आपका समय आनन्दसे बीते, हम परमश्रेष्ठसे प्रार्थना करते हैं कि महामहिम सम्राट तथा सम्राज्ञीसे सिंहासनके प्रति हमारी वफादारी और भक्ति भावना निवेदित करनेकी कृपा की जाये।
परमश्रेष्ठ के आज्ञाकारी सेवक,
ए० एम० भायात
तथा अन्य
इंडियन ओपिनियन, २८-५-१९०४
- ↑ यह अभिनन्दनपत्र सर आर्थर लालीको हाइडेलबर्गके भारतीय समाजकी ओरसे उनके वहाँ पधारनेपर दिया गया था।