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गिरमिटिया भारतीय

नये नियमों के अनुसार वह गिरफ्तारीसे तबतक मुक्त नहीं रह सकता जबतक कि अपने डिवीजनके न्यायाधीशसे इस आशयका कोई पास न प्राप्त कर ले। यह पास मिल भी सकता है और नहीं भी। इस प्रकार वास्तवमें उसको संरक्षकके कार्यालयतक पहुँचनेके लिए अपना अभियोग प्रारम्भिक रूपमें न्यायाधीशके सामने प्रमाणित करना पड़ता है। हम यह कहे बगैर नहीं रह सकते कि यह एक ऐसी नई बात है जिसकी कोई खास आवश्यकता नहीं थी। इससे तो कहीं अच्छा होता अगर उस भारतीयको, जो शिकायतें करना चाहता हो, शिकायतें करनेकी अबाध रूपसे स्वतन्त्रता होती। निस्सन्देह उनमें कुछ निरर्थक शिकायतें भी होतीं, परन्तु हमारे विचारमें सच्ची शिकायतोंके रास्तेमें कठिनाई पैदा करनेके बजाय उन निरर्थक शिकायतोंकी उपेक्षा करना अधिक अच्छा है।

भारतीय मजदूरोंकी माँग भयानक गतिसे बढ़ रही है। सालके अन्ततक १५,०३३ प्रार्थना-पत्र ऐसे थे जिनपर कोई कार्रवाई ही नहीं की गई थी। भारत-स्थित प्रतिनिधि इस असाधारण माँगको पूरा करनेमें बिलकुल असमर्थ हैं। इससे स्पष्ट है कि गिरमिटिया भारतीय मजदूरोंके वगैर इस उपनिवेशका काम बिलकुल नहीं चल सकता और फिर भी हम लोगोंको इसके विरोध में चिल्लाते और यह तर्क देते हुए सुनते हैं कि गिरमिटिया भारतीय मजदूरोंने उपनिवेशको बरबाद कर दिया है।

आत्महत्याओंके विषयमें संरक्षकका कहना यह है:

आत्महत्याओंकी संख्या, जो इन आँकड़ोंमें शामिल नहीं है, इस सालमें ३१ रही। इनमें २० मर्द और ३ औरतें गिरमिटिया थीं जब कि ६ मर्द, १ औरत और १ लड़का स्वतंत्र भारतीय थे। आत्महत्याकी प्रत्येक घटना किन स्थितियोंमें हुई उसकी जाँच न्यायाधीश करता है और जब कभी सबूतसे ऐसा लगता है कि मौत किसी भी रूप में मालिक या किसी नौकरके बुरे बरतावके परिणामस्वरूप हुई है तब में स्वयं उस खेती में जाता हूँ और घटनाकी स्थितियोंकी जाँच करता हूँ। केवल एक ही उदाहरण इस तरहका है, जिसमें सबूत इस ओर संकेत करता था; परन्तु मेरी खुदकी जाँचसे इस सन्देहकी पुष्टि नहीं हुई। यह सन्देह मृत व्यक्तिके जहाजी साथियोंने पैदा किया था। मृत व्यक्ति भारतमें एक दूकानमें सहायक था और मालिकका बही-खाता रखता था। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि उसने वास्तवमें आत्महत्या इसलिए की, कि गन्नेकी खेतीका काम उसके अनुकूल न था। एक औरतने एक ऐसे सम्पन्न पुरुषसे शादी कर ली थी जिसकी गिरमिटकी पहली मियाद पूरी हो चुकी थी। उस औरतके साथ व्यवहार भी अच्छा किया जाता था; किन्तु उसने इसलिए आत्महत्या कर ली, कि विवाहसे नौ महीने पीछे उसे एक निम्न जातिके पुरुषसे सम्बन्ध कर लेनेपर पछतावा हुआ। एक आदमीने इसलिए आत्महत्या की, कि उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी। एक दूसरे व्यक्तिने अपनी पत्नीको जानसे मारनेकी कोशिशकी थी, और उसने ऐसा क्यों किया यह खयाल आनेपर अपने-आपको फाँसी लगा ली। इस रहस्यका पता अभीतक नहीं लगा है कि एक नौ वर्षके स्वतंत्र भारतीय बालकने, जो अपने पिताके भारतीय स्वामीके पशु चरा रहा था, आत्महत्या क्यों कर ली। साधारणतः गवाहोंका कहना है कि वे आत्महत्याका कोई कारण नहीं बता सकते। और जिनके बारेमें माना जाता है कि वे जानते हैं, वे ही अगर कोई सूचना देनेसे इनकार करें तो बहुत-सी घटनाओंका सम्भावित कारण जानना भी असम्भव है।