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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/२६१

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१७१. ट्रान्सवालका परवाना दफ्तर

लॉर्ड मिलनरने आन्तर उपनिवेश परिषदकी बैठकमें, जो अभी हालमें प्रिटोरियामें हुई थी, अध्यक्षकी हैसियतसे परवाना विभागके बजटपर बोलते हुए यह कहा था:

अध्यक्षने परवाना दफ्तरके लिए ९,५०० पौंडकी मंजूरीकी चर्चा करते हुए कहा कि मेरे अपने खयालसे इस विभागकी जरूरत एक सालतक और होगी। परवाना-कार्यालय के तन्त्रका उपयोग जैसा शुरूमें सोचा गया था उससे कुछ भिन्न कामोंके लिए किया गया है। लेकिन फिर भी ये काम समाजके लिए बड़े लाभदायक रहे हैं। परवाना प्रणाली, प्रथमतः, बेशक राजनीतिक है; परन्तु जिन लोगोंको राजनीतिक कारणोंसे परवाने नहीं दिये गये हैं उनकी संख्या बहुत ही थोड़ी है। फिर भी अवांछित प्रवासियोंकी—जिनमें कुछ यूरोपीय हैं, परन्तु अधिकतर एशियाई हैं––बाढ़ से बचनेका हमारा एकमात्र साधन परवाना-कार्यालय ही रहा है। अगर सन्तोषजनक ढंगका स्थायी कानून बननेसे पहले ही हम इस हथियारको छोड़ दें तो मैं नहीं जानता कि हमारे जीवनका क्या मूल्य रह जायेगा (हॅसी)। अलबत्ता, यह एक अस्थायी प्रणाली है; परन्तु में यह सम्भव नहीं समझता कि इसे तुरन्त नामशेष किया जा सकता है। अगर खर्चकी यह मद जरूरी नहीं है तो हम इसका रुपया खर्च नहीं करेंगे।

जो बात हम बराबर कहते आये हैं उसका-यानी इस बातका कि, शान्ति-रक्षा अध्यादेशका प्रयोग ऐसे कामोंके लिए किया जा रहा है, जिनके लिए वह कभी अभिप्रेत नहीं था—ट्रान्सवालके सर्वोच्च अधिकारी द्वारा समर्थन हो गया है। और स्पष्टतः परमश्रेष्ठको हर्ष है कि "अवांछनीय लोगोंकी—जिनमें कुछ यूरोपीय हैं, परन्तु अधिकतर एशियाई हैं—बाढ़" को रोकने के लिए उनके हाथों में ऐसा एक हथियार आ गया है। और लॉर्ड महोदय नहीं जानते कि यदि इस हथियारका त्याग कर दिया जाये तो उपनिवेशके लोगोंके जीवनका क्या मूल्य रह जायेगा। यदि ऐसी बातें कोई राजनीतिक आन्दोलनकारी कहता तो वे हमारी समझमें आ सकती थीं, परन्तु चूंकि ये राज्यके प्रमुखकी जबानसे निकली हैं और सो भी एक ऐसे व्यक्तिकी जबानसे, जो ब्रिटिश साम्राज्यके अग्रगण्य राजनयिक और पूरे-पूरे साम्राज्य भक्त माने जाते हैं——इसलिए हृदय दुःख और विस्मयसे भर जाता है। पहले तो, यहाँ अवांछनीय प्रवासियोंकी बाढ़ आ गई है, यह कथन ही अत्युक्तिपूर्ण है और यह लॉर्ड महोदयके लिए अशोभनीय है। दूसरे, यह कहना निपट दुर्बलता स्वीकार करना है कि यदि यह हथियार न होता तो उपनिवेशमें लोगोंके जीवनका कोई मूल्य ही न रह जाता। और क्या, आखिरकार, देशमें आबादी इतनी ज्यादा हो गई है? लॉर्ड महोदयने ट्रान्सवालमें जिस साधनका उपयोग किया है वह साधन जिन ब्रिटिश उपनिवेशों में नहीं है क्या उनमें से किसीमें, या केपमें, या नेटालमें उसके न होनेसे लोगोंके जीवन निकम्मे हो गये हैं? यह सत्य है कि प्रवासी प्रतिबन्धक अधिनियम कुछ वर्षसे नेटालमें और एक वर्षसे केप में लागू है। किन्तु वह ट्रान्सवालके शान्ति-रक्षा अध्यादेशके मुकाबले कुछ भी नहीं हैं। इसके अन्तर्गत तो कानूनी शरणार्थियोंका भी उपनिवेश में प्रवेश करना अत्यन्त कठिन है, यद्यपि वे ब्रिटिश प्रजाजन हैं और ट्रान्सवालमें उनकी ऊँची हैसियत है और बहुत बड़ी जमीन-जायदाद है। और यदि लॉर्ड महोदयने जो कुछ कहा है वह प्रवासके सम्बन्ध में उनके गम्भीरतापूर्वक व्यक्त