१८३. और भी निर्योग्यताएँ
वर्जित-भूमिपर ईंटें बनाने, पत्थर की खानें खोदने और चूने के भट्टे लगाने के उद्योगोंका निय-मन करनेके लिए जुलाई १ के ट्रान्सवाल गवर्नमेंट गज़टमें एक अध्यादेशका मसविदा प्रकाशित हुआ है। अध्यादेशकी धारा ३ में कहा गया है:
इस उपनिवेशका निवासी, अठारह वर्षसे ऊपरका कोई भी गोरा पुरुष, किसी भी जिलेके रजिस्ट्रार के दफ्तरसे ईंटें बनाने, चूनेके भट्टे लगाने और पत्थरको खानें खोदनेका परवाना लेनेके लिए स्वतन्त्र होगा।
अभीतक रोक सोनेकी खदानोंतक ही लागू थी, और उसके बारे में हमने कुछ नहीं कहा। किन्तु अब भारतीयोंके लिए ईंटें बनाना भी गैर-कानूनी हो जायेगा, क्योंकि उन्हें ऐसा करनेका परवाना नहीं मिल सकेगा। अभी कुछ ही दिनों पहले श्री लिटिलटनने सर मंचरजी भावनगरीके प्रश्नका उत्तर देते हुए उन माननीय सज्जनको आश्वासन दिया था कि जो ब्रिटिश भारतीय उपनिवेशमें बस चुके हैं उनके अधिकारोंकी रक्षा पूर्ण रूपसे की जायेगी। हमारे सामने अध्यादेशका जो मसविदा है वह इस इरादेको पूरा करनेवाला नहीं दीखता। इसलिए क्या हम यह बात तय मान लें कि सरकार अध्यादेशको बदल देगी या, यदि वह अपने वर्तमान रूपमें पास हुआ तो, श्री लिटिलटन उसपर अपने निषेधाधिकारका प्रयोग करेंगे?
इंडियन ओपिनियन, ९-७-१९०४
१८४. प्लेगकी खूँटी
प्लेगने ट्रान्सवालमें एक ऐसी खूंटीका काम दिया है जिसपर भारतीयोंके प्रति अनेकानेक निर्योग्यताएँ अटका दी जायें। अब सुनाई दे रहा है कि प्लेगसे सावधानीकी आड़ में भारतीय शरणा-थियोंको दक्षिण आफ्रिकी उपनिवेशोंसे यहाँ आनेके परवाने देना बन्द कर दिया गया है। यह सबसे ताजी निर्योग्यता है, जो उनपर लगाई गई है। इसका एकमात्र कारण यह मालूम होता है कि जोहानिसबर्गके कुछ स्थानोंमें प्लेग ग्रस्त चूहे पाये गये हैं। और वे भी भारतीयोंके मुहल्लोंमें नहीं, परन्तु गरीब यूरोपीयोंके मुहल्लोंमें। डर्बनमें प्लेगकी एक दो घटनाएँ होनेके बाद फिर परवानोंपर रोक शुरू की गई थी। परन्तु अब प्लेग डर्बनमें अचानक बन्द हो गया है, यह देखते हुए कोई-न-कोई बहाना आवश्यक था और उसका काम प्लेगके चूहोंसे ले लिया गया है। हमें पता नहीं कि ट्रान्सवाल- सरकारके इरादे क्या हैं। परन्तु यदि उसे प्रस्तावित कानून द्वारा अपनी मन्द उत्पीड़न नीति दुहरानी है तो ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयों की स्थिति नितान्त दयनीय हो जायेगी। इस सम्बन्ध में नगर के स्वास्थ्य के बारेमें डॉ० म्यूरिसनकी रिपोर्टका एक अनुच्छेद उद्धृत कर देना अच्छा होगा। इससे प्रकट हो जायेगा कि डर्बनसे ट्रान्सवालमें आनेके परवाने कितने लचर बहानेपर बन्द किये गये थे।