वे दूर रहें और दूरसे सब व्यवस्था करें तो अपने देशवासियोंकी अधिकतम सेवा कर सकते हैं। और इसलिए वे वहाँसे चले गये। यह खयाल गलत है कि जो बहादुर शेर द्वारा घायल कर दिये जानेपर अपने ही हाथसे अपनी अंगुली काटकर और अपने घावपर पट्टी बाँधकर अपने कामकाजमें इस तरह लग गया था मानो कुछ घटित ही न हुआ हो, वही खतरेकी जगह से भागनेवाला व्यक्ति होगा। यूरोपमें भी उनकी वृत्ति एक महान और ईश्वरपरायण पुरुषके योग्य रही। उन्होंने कोई अनुचित क्षोभ नहीं दिखाया, अनिवार्यको मंजूर किया और अपने लोगोंको सलाह देकर रास्ता दिखाते रहे। वे अपने पीछे एक महत्त्वपूर्ण सबक छोड़ गये हैं और वह है उनकी एकनिष्ठ देशभक्ति, यद्यपि वह कभी-कभी गलत दिशामें चली जाती थी। हमारा खयाल है कि आगामी पीढ़ियोंके लिए उनका सर्वोत्तम परिचय एक कट्टर देशभक्त के रूपमें होगा। खुद ब्रिटिश भारतीयों के पास ऐसा कुछ नहीं, जिसके लिए वे उक्त दिवंगत राजपुरुषको धन्यवाद दे सकें। ट्रान्सवालमें उनके बनाये कानूनकी पीड़ासे हम अब भी कराह रहे हैं। परन्तु इस कारण यह जरूरी नहीं कि हमारे देशवासी उनके महान गुणोंको स्वीकार न करें और जो लोग ऐसे महान पुरुषकी मृत्युपर शोक मना रहे हैं उनके साथ शरीक न हों।
इंडियन ओपिनियन, २३-७-१९०४
१८६. आयोजित आन्दोलन
ब्रिटिश भारतीयों और दूसरे एशियाइयोंको व्यापारिक परवाने देनेके विरुद्ध बॉक्सबर्गके व्यापारियोंकी हलचलें जारी हैं। उन्होंने संयुक्त कार्रवाईकी दृष्टिसे उपनिवेशके सब व्यापारी-संचोंके नाम एक घोषणापत्र भेजा है। बॉक्सबर्गसे छन-छनकर जो कागजात यहाँ आ जाते हैं उनमें बहुत ही असंयत बातें कही जाती हैं। उदाहरणके लिए, दूसरे संघोंसे ठंडे दिलसे कहा गया है कि "एशियाई व्यापारको उपनिवेशमें अबाध रूपसे जमनेकी अनुमति देकर गोरे समाजपर अन्याय किया जा रहा है और उसके लिए खतरा पैदा किया जा रहा है।" यदि सुझाये गये प्रस्तावपर ध्यान दिया गया तो उससे विधान परिषद दुनियाकी नजरोंमें बिलकुल हास्यास्पद दिखाई देगी। क्योंकि, प्रस्तावमें परिषदसे गम्भीरतापूर्वक माँग की गई है कि जबतक एशि- याइयोंके सम्बन्धमें स्थायी कानून अमल में नहीं आता तबतक एशियाइयोंको परवाने देना बन्द कर दिया जाये । " इतनेपर भी हमसे कहा जाता है कि उन्होंने इतना अच्छा एका कर लिया है कि अबतक चीनी अहातेके पास एक भी चीनी व्यापारी पैर नहीं जमा सका है। समझमें नहीं आता कि तब इतनी भोंडी जल्दबाजी क्यों की जाती है । परन्तु हमें अपने सहयोगी स्टार के द्वारा मालूम हुआ कि उपनिवेश-कार्यालयको प्रेषित निवेदनोंमें स्थानीय सरकारके हाथ मजबूत करनेके उद्देश्यसे ऐसा जोरदार आन्दोलन चलाना अत्यावश्यक है । इस दृष्टिसे देखने- पर हमारी समझ में इस बातका अर्थ आ जाता है; यह तो आतंकित करना ही है । अमली तौरपर इस तरह लोग साम्राज्य सरकारसे कहते हैं कि, अगर तुम हमें वह चीज नहीं दोगे जो हम चाहते हैं तो हम तुमसे झगड़ेंगे", क्योंकि यह कहा गया है कि इस आशयका एक और प्रस्ताव भी रखा जायेगा। अगर साम्राज्य सरकार मंजूरी नहीं देगी, तो उत्तरदायी शासन के लिए आन्दोलन शुरू कर दिया जायेगा, ताकि ट्रान्सवाल अपने भीतरी मामलोंका