उन विशेषाधिकारोंको देनेसे इनकार करना, जिनकी पुष्टि न्यायालयसे हो चुकी है, असम्भव है।
यह कहना असम्भव है कि इन भारतीयोंको ब्रिटिश झंडेके नीचे वे अधिकार प्राप्त नहीं हैं जो उन्हें बोअर-कानूनके अन्तर्गत दिये गये थे।
मुझे पूरा निश्चय है कि ट्रान्सवालके नागरिक, जो साम्राज्यसे सम्बन्ध रखनेका महत्त्व समझते हैं, अंग्रेजोंके नामके गौरवकी रक्षा उतनी ही करेंगे जितनी कोई दूसरा करता है; और ऐसे अधिकार मुक्तहस्तसे प्रदान करेंगे।
श्री लिटिलटनका कथन उत्साहजनक है। सवाल सिर्फ यह है कि क्या उनमें इसपर अमल करनेकी शक्ति और स्थानीय सरकारके विरोधका सामना करनेकी दृढ़ता होगी? हम बराबर कहते आ रहे हैं कि ब्रिटिश अधिकारके बाद ब्रिटिश भारतीयोंके साथ किया गया व्यवहार ब्रिटिश गौरव और ब्रिटेनके राष्ट्रीय सम्मानसे मेल नहीं खाता। अब हम उपनिवेश-मन्त्रीको लोकसभा में अपने स्थानसे उस विचारका समर्थन करते हुए पाते हैं। आशा है वे जैसा कहते हैं वैसा करेंगे भी।
इंडियन ओपिनियन, ३०-७-१९०४
१९१. सिंहावलोकन
हमें यह घोषणा करते हुए बहुत प्रसन्नता होती है कि ट्रान्सवालके भीतर भी ब्रिटिश भारतीयोंकी गतिविधिपर रैंड प्लेग-समिति द्वारा लगाई गई प्लेग-सम्बन्धी पाबन्दियाँ अब हटा ली गई हैं और जो भारतीय उपनिवेशमें एक जगह से दूसरी जगह सफर करना चाहें उन्हें अव अपनी डाक्टरी जाँच करवाने और यात्राके परवाने साथ रखने की जरूरत नहीं होगी। हम ट्रान्सवालमें आबाद अपने देशवासियोंको उनकी इस कष्ट-मुक्तिपर और उससे भी अधिक उनके अनुकरणीय धैर्यपर बधाई देना चाहते हैं। हमारी हमेशा यह राय रही है कि प्रतिबन्ध सर्वथा अनावश्यक थे, यद्यपि हमने साथ-साथ यह सलाह भी दी है कि इस सबको सहन करना ही उनके लिए सबसे अच्छी बात है। सरकारी कथनके अनुसार प्लेग पिछले मार्चके मध्य में शुरू हुआ था और पहले जोरदार दौरके बाद उसका प्रकोप खतरनाक रूपमें कभी नहीं हुआ है। पिछले तीन महीनेमें कुछ इक्की दुक्की प्लेगकी घटनाएँ हुई हैं और वे भी ज्यादातर वतनी लोगों तक ही सीमित रही है। फिर भी साढ़े चार महीनेतक भारतीयोंने अपनी हलचलोंके सम्बन्ध में कष्टप्रद असुविधाओंका सामना किया है। आँकड़े निश्चित रूपसे बताते हैं कि भारतीय बस्तीके बाहर प्लेगने किसी व्यक्तिका लिहाज नहीं किया है और जोहानिसबर्गके बाहर शायद ही किसी भारतीयको प्लेग हुआ हो। कुछ जिलोंमें तो प्लेगसे एक भी भारतीय बीमार नहीं हुआ। इसके अलावा अधिकारी उनके विरुद्ध एक भी शिकायत पेश नहीं कर सके हैं। वे अधिकारियोंकी इच्छाओंके अनुसार चलनेके लिए तैयार और उत्सुक रहे हैं और जब उनके मकान और असबाब जला दिये गये और उनको नगरसे तेरह मील दूर शिविरमें जानेका आदेश दिया गया, तब वे बड़बड़ाये बिना वहाँ चले गये। उपनिवेशके चिकित्सा अधिकारी डॉ० टर्नरने विचारपूर्वक अपनी राय दी है कि जोहानिसबर्ग की बस्ती में प्लेग के प्रकोपका दोष भार-