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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/२८४

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


क्योंकि डेलागोआ-वे ब्रिटिश उपनिवेश नहीं है और पुर्तगालियोंके तौर-तरीके अक्सर अत्यन्त रहस्यमय होते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-८-१९०४

१९४. पुलिस सुपरिंटेंडेंट और ब्रिटिश भारतीय

सुपरिंटेंडेंट अलेग्जेंडरने डर्बन नगर-परिषदमें एक रिपोर्ट पेश की है जो बहुत ही दिलचस्प है। उन्होंने भारतीयोंके बारेमें बहुत संतोषजनक वातें कही हैं। इस सम्बन्ध में वे लिखते हैं: मुझे अपनी (लगभग १६,००० की) बड़ी आबादीसे बरतनेमें बहुत कम परेशानी हुई। ये लोग कानून और व्यवस्थाका पालन सबसे ज्यादा करते हैं। केवल एक ही उदाहरण ऐसा है, और वह है उनके पिछले मुहर्रमके सालाना त्यौहारके दिनोंका, जब उनमें से कुछ लोगोंने मेरी आज्ञाका विरोध करनेकी कोशिश की थी। लेकिन ज्यों ही उन्हें मालूम हुआ कि मेरी आज्ञाका उद्देश्य उन्हें शराबखानोंसे दूर रखना है त्यों हो उन्होंने तुरन्त माफी माँग ली।

शराबखोरीके बारेमें उनके निम्नलिखित विचारोंसे जाहिर होता है कि इस दिशा में सुपरिटेंडेंटने जो काम किया है, उसके लिए नगर उनका कितना ऋणी है। और हम यही आशा कर सकते हैं कि वे जिस तरह पिछले पच्चीस सालसे अधिक समयसे समाजकी सेवा करते आये हैं उसी तरह समाजकी सेवा करते रहने के लिए दीर्घकालतक जीवित रहेंगे।

इस वर्ष के दौरान में आपकी पुलिसने १५,४३८ अपराधों और जुमका पता लगाया और उनका निपटारा किया, जैसा कि आँकड़ोंसे जाहिर है। मुझे कहते खुशी होती है कि यद्यपि यहाँ एक बड़ी संख्या में (लगभग ३००) यूरोपीय बेकार हैं, आधी आबादी कई जातियोंके असभ्य काले लोगोंकी है और हमारे बीचमें यूरोपीय विदेशियोंकी भी एक बड़ी संख्या है, फिर भी, कुल मिलाकर, समाजका आचरण अच्छा रहा है। मुझे यह कहते हुए हर्ष होता है कि यूरोपीयोंमें शराबखोरी बहुत कम हो गई है। बेशक, इसका आंशिक कारण व्यापारिक मंदी भी है; परन्तु निरन्तर अवलोकनसे मेरा यही खयाल ज्यादा बनता है कि शहरमें अब (नशीली चीजोंके सिवा) दूसरी तरहके जलपानोंकी व्यवस्था बहुत ज्यादा हो गई है, और यही इसका बड़ा कारण है। क्योंकि अब कोई भी अपने ऐसे मित्रको, जो शराबखानेमें जाना नहीं चाहता, जलपान गृहमें ले जाता है। और जब किसीको ऐसा जलपान मिल जाता है तो उसे शराबकी इच्छा नहीं होती। मुझे ज्ञात है, शराबखानेका मालिक शिकायत करता है कि उसकी आमदनी कम हो जानेसे किराया वगैरह चुकाना कितना कठिन हो गया है। इसका एकमात्र उपाय यह है कि जायदाद के मालिक अपने किराये कम कर दें, जो इस समय बहुत ऊँचे हैं, और जिनके कारण शराबखानेके मालिक अपने ग्राहकोंके साथ उतनी ईमानदारी नहीं बरत सकते जितनी कि, कदाचित् वे बरतना चाहते हैं। केवल इसी कारण मैंने शराब-