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प्रार्थनापत्र: उपनिवेश सचिवको


बेशक बहुत प्रशंसनीय और कदाचित् आवश्यक भी हैं वहाँ, मेरी नम्र रायमें, भारतीय बस्तीकी गन्दगी और अत्यधिक भीड़-भाड़के मौजूदा खतरेका सामना करनेके स्पष्ट फर्त्तव्यकी भी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। महसूस करता हूँ कि इस समय कुछ सौ पौंड खर्च कर देनेसे शायद हजारों पौंडकी बचत होगी, क्योंकि यदि दुर्भाग्यवश बस्तीमें कोई छूतकी बीमारी फैल गई तो लोगों में घबराहट पैदा हो जायेगी और इस समय जो बुराई बिलकुल रोकी जा सकती है उसके इलाज के लिए तब तो रुपया पानीकी तरह बहाया जायेगा।

मुझे आश्चर्य नहीं है कि आपके अमलेको बहुत काम करना पड़ता है, इसलिए वह बस्तीकी सफाईका पूरा काम करनेमें असमर्थ है; क्योंकि आपको जो चीज चाहिए और जो मिल नहीं सकती वह है हरएक मकान के लिए एक सफैया। जो काम सब पर छोड़ दिया जाता है, वह किसीका भी नहीं होता। आप बस्तीके प्रत्येक निवासीसे सफाईकी देखभाल करनेकी आशा नहीं रख सकते। जन्तीसे पहले हरएक बाड़ेका मालिक अपने बाड़ेकी ठीक सफाईके लिए जिम्मेदार माना जाता था और वह बहुत स्वाभाविक भी था। मैं स्वयं जानता हूँ कि इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक वाड़के साथ एक सफैया लगा रहता था और जो उसकी बराबर देखभाल रखता था; और में निस्संकोच कह सकता हूँ कि बाड़ोंकी जो हालत इस समय है उसके मुकाबिलेमें वे अच्छी और आदर्श अवस्थामें रखे जाते थे।

आप मुझसे उपाय सुझाने के लिए कहते हैं। मैंने तो इस मामले को टाला था और अगर नगर परिषद कोई उचित ढंग अपना ले तो मुझे सन्देह नहीं कि स्थितिमें तुरन्त सुधार हो सकता है। और उसके लिए नगर परिषदको कुछ खर्च भी न करना पड़े, और शायद कुछ पौंडकी बचत भी हो जाये। बाड़ोंके मालिकोंको थोड़े अरसेके लिए—छः महीने या तीन महीने के लिए—पट्टे दे दिये जायें। पट्टोंमें ठीक-ठीक लिख दिया जाये कि हर बाड़े में या हर कमरे में कितने आदमी रखे जायेंगे। पट्टेदार कीमत आँकनेवालों द्वारा की गई कीमतका, मान लीजिए, ८ फीसदी चुकायें; और जिस बाड़ेका उन्हें पट्टा दिया गया हो, उसकी सफाई के लिए उन्हें सख्ती के साथ जिम्मेदार बनाया जाये। तब सफाईके नियमोंपर कठोरतासे अमल कराया जा सकता है; एक या दो निरीक्षक बाड़ोंको रोज देख सकते हैं और नियम भंग करनेवाले लोगोंके साथ सख्ती से पेश आ सकते हैं।

यदि यह विनम्र सुझाव मान लिया जाये तो आपको दो-तीन दिनमें बहुत सुधार दिखाई देगा और आप थोड़ी-सी कलम चलाकर गन्दगी और भीड़-भाड़का सफलतापूर्वक सामना कर सकते हैं। नगर परिषद भी व्यक्तियोंसे किराया वसूल करनेकी झंझटसे बच जायेगी।

अवश्य ही, मेरे सुझावके अनुसार नगर परिषदको बस्तीसे काफिरोंको हटा लेना होगा। मैं स्वीकार करता हूँ कि भारतीयोंके साथ काफिरोंको मिला देनेके बारेमें मेरी भावना बहुत ही प्रबल है। मेरे खयाल से यह भारतीय लोगोंके साथ बड़ा अन्याय है और मेरे देशवासियोंके सुप्रसिद्ध धीरजको भी बेजा तौरपर खपानेवाला है।

यद्यपि अस्वच्छ क्षेत्रमें शामिल किये गये दूसरे भागोंमें में स्वयं नहीं गया हूँ, फिर भी मुझे बड़ा अन्देशा है कि वहाँ भी वही हालत होगी, और मैंने ऊपर जो सुझाव दिया है, वह दूसरे भागोंपर भी लागू होगा।