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प्रार्थनापत्र: उपनिवेश सचिवको


हुए हैं। उदाहरणके लिए, प्रिटोरिया और पॉचेफ्स्ट्रममें, जहाँ भारतीयोंकी अलग बस्तियाँ हैं, भारतीय प्रायः नगण्य संख्यामें प्लेगसे बीमार हुए हैं।

आवेदनपत्रके इस भागको समाप्त करनेसे पहले मेरा संघ परमश्रेष्ठका ध्यान दो पुराने डॉक्टरों, डॉ० वील और डॉ० स्पिककी नीचे लिखी रायकी तरफ खींचना चाहता है:

मैं इस पत्रके द्वारा प्रमाणित करता हूँ कि मैं गत पाँच वर्षोंसे प्रिटोरिया नगरमें साधारण चिकित्सकका धंधा कर रहा हूँ।

इस अवधि में, और खास तौरसे तीन वर्ष पहले, जब भारतीयोंकी संख्या अबसे ज्यादा थी, उनके बीच मेरा धंधा खासा अच्छा रहा है।

मैंने उनके शरीरोंको आम तौरसे स्वच्छ और उन लोगोंको गन्दगी तथा लापरवाहीसे उत्पन्न होनेवाले रोगोंसे मुक्त पाया है। उनके मकान साधारणतः साफ रहते हैं और सफाईका काम वे राजी-खुशीसे करते हैं। वर्गको दृष्टिसे विचार किया जाये तो मेरा यह मत है कि निम्नतम वर्गके भारतीय निम्नतम वर्गके यूरोपीयोंकी तुलनामें बहुत अच्छे उतरते हैं। अर्थात्, निम्नतम वर्गके भारतीय निम्नतम वर्गके यूरोपीयोंकी अपेक्षा ज्यादा अच्छे ढंगसे, ज्यादा अच्छे मकानोंमें और सफाईको व्यवस्थाका ज्यादा खयाल करके रहते हैं।

मैंने यह भी देखा है कि जिस समय शहर और जिलेमें चेचकका प्रकोप था—और जिलेमें अब भी है—तब प्रत्येक राष्ट्रके एक या अधिक रोगी तो कभी-न-कभी संक्रामक रोगोंके चिकित्सालयमें रहे, परन्तु भारतीय कभी एक भी नहीं रहा।

मेरे खयालसे, आम तौरपर भारतीयोंके विरुद्ध सफाईके आधारपर आपत्ति करना असम्भव है। शर्त हमेशा यह है कि, सफाई-अधिकारियोंका निरीक्षण भारतीयों के यहाँ उतना ही सख्त और नियमित हो, जितना कि यूरोपीयोंके यहाँ होता है।

एच० प्रायरवील, बी० ए०, एम० बी०, बी० सी० (केंटब) मैं प्रमाणित करता हूँ कि मैंने पत्र-वाहकोंके मकानोंका निरीक्षण किया है। वे स्वच्छ तथा आरोग्यजनक हालतमें हैं। वास्तवमें तो वे ऐसे हैं कि उनमें कोई भी यूरोपीय रह सकता है। मैं भारतमें रहा हूँ। में प्रमाणित कर सकता हूँ कि दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यमें उनके मकान उनके भारतके मकानोंसे कहीं बेहतर हैं।

सी० पी० स्पिक, एम० आर० सी० एस० और एल० आर० सी० ए० (लंदन)। परमश्रेष्ठने पहले मुद्देके बारेमें विचार करते हुए जोहानिसबर्ग, पीटर्सबर्ग और नेटाल तीन उदाहरण लिये हैं। जोहानिसबर्ग ब्रिटिश भारतीयोंके मुकाबिलेमें टिका रह सका है, यह बात मेरे संघकी विनम्र सम्मतिमें, यह जाहिर करती है कि भारतीय व्यवसाय में यूरोपीयोंसे स्पर्धा करनेमें असमर्थ हैं। हाँ, फुटकर व्यापारमें भले ही कर सकते हैं। इसमें भी वे यूरोपीयोंको खदेड़ने में सफल नहीं हुए हैं, क्योंकि सभीको यह मालूम है कि जोहानिसबर्ग में फुटकर व्यापार अधिकतर यूरोपसे आये हुए विदेशियोंके हाथोंमें है। परमश्रेष्ठके प्रति अत्यन्त आदरसहित कहना होगा कि पीटर्सबर्ग में भी थोक और फुटकर दोनों ही व्यापार ज्यादातर यूरोपीयोंके हाथोंमें हैं। यूरो-पीय कोठीदार, जिनके लिए परमश्रेष्ठने कहा है कि वे पीटर्सबर्ग में केवल थोक व्यवसाय ही करते हैं, मेरे संघकी जानकारीके अनुसार, फुटकर व्यवसाय भी कर रहे हैं, जब कि वहाँके भारतीयोंका व्यापार फुटकर कारोबारतक ही सीमित है।