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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिए तैयार है । मैं खुद किसी भी आयोगके, जो नियुक्त किया जाये, फैसलेसे नहीं डरता, क्योंकि मेरा विनम्र, किन्तु दृढ़, विश्वास है कि भारतीयोंके विरुद्ध उठाई गईं बहुत-सी आपत्तियाँ वास्तवमें निराधार हैं। ट्रान्सवालमें फुटकर भारतीय व्यापारियोंकी संख्या यूरोपीयोंकी तुलनामें बहुत थोड़ी है । परन्तु मेरी समझमें आयोगकी नियुक्ति अनावश्यक है और उससे प्रश्नका निपटारा अनिश्चित कालके लिए स्थगित हो जायेगा । यह बड़े आश्चर्यकी बात होगी, यदि श्री लिटिलटन अपने खरीतेसे मुकर जायें और आयोगका फैसला मालूम होनेतक भारतीय परवानोंके प्रश्नको मुल्तवी रखें। ब्रिटिश भारतीय संघने यूरोपीयोंकी इच्छाओं की पूर्तिका सदा प्रयत्न किया है। उन्होंने फिर एक महान प्रयत्न किया है और मेरा निवेदन है कि विशेषतः उन कड़े कानूनोंको ध्यानमें रखते हुए, जो पॉचेफ़स्ट्रममें और अन्यत्र सुझाये जा रहे हैं, इस तथ्यपर जोर देकर आप देशकी सेवा करेंगे। इस समय वक्त ही महत्त्वपूर्ण है; विवाद एक ऐसी स्थितितक पहुँच गया है। जहाँ कोई निश्चित निर्णय ही एकमात्र उपाय हो सकता है। विधानसभाकी बैठकपर बैठक हुई और अनेक कानून पास हुए, मगर हर बार यह सवाल ताकपर रख दिया गया । संघने निश्चित प्रस्ताव किये हैं जिनसे मेरे खयालमें माकूल हल निकल आता है और वे कमसे कम, परीक्षाके योग्य हैं। साथ ही उन प्रस्तावोंमें यह विशेषता है कि प्रश्नका निपटारा स्थानीय स्तरपर हो जाता है ।

आपका आदि,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, १०-९-१९०४

२०४. ट्रान्सवालके भारतीय

अगर हमारे सहयोगियोंको मिले हुए समुद्री तारोंमें लॉर्ड मिलनरके विचारोंका ठीक-ठीक सार दिया गया है तो हम स्वीकार करते हैं कि हम इस प्रश्नपर परमश्रेष्ठके रुखको नहीं सम- झते क्योंकि हमें बताया गया है, लॉर्ड महोदयका खयाल यह है :

दक्षिण आफ्रिकामें रंगदार लोगोंको गोरोंके साथ समान स्तरपर रखनेकी कोशिश बिलकुल अव्यावहारिक और उसूलन गलत है। लेकिन मेरी राय है कि जब किसी रंगदार आदमीमें एक निश्चित दर्जेकी ऊँची सभ्यता उपलब्ध हो तब उसे रंगका लिहाज किये बिना गोरोंके से विशेषाधिकार मिलने चाहिए।

अगर परमश्रेष्ठ सिर्फ इतना ही चाहते हैं तो हमें श्री लिटिलटनके खरीते में इससे असंगत बात कुछ भी दिखाई नहीं देती, क्योंकि उन्होंने प्रस्ताव किया है कि उन लोगोंके सिवा, जो परमश्रेष्ठकी बताई हुई कसौटीपर खरे उतरें, अन्य ब्रिटिश भारतीयोंका आगे प्रवास रोक दिया जाये । जो लोग पहलेसे ही इस देशमें मौजूद हैं उनके लिए परमश्रेष्ठकी तजवीज यह है कि व्यापार के लिए तो नहीं, परन्तु सफाई सम्बन्धी कारणोंसे उनके पृथक्करणकी अनुमति हो तो व्यापार करनेका प्रश्न फिर भी अनिर्णीत रह जाता है । परन्तु लॉर्ड मिलनरने स्वयं इस प्रश्नका उत्तर इन शब्दों में दिया है :