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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/३२१

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पोंचेफस्टमके अग्निकाण्डका मूल

यह अनुदार दलीय पत्र मॉर्निंग पोस्टका कहना है। पत्र आगे कहता है कि,

लॉर्ड मिलनरके प्रस्तावकी स्वीकृतिसे सम्राट्के ३० करोड़ भारतीय प्रजाजनोंको जिनके अधिकारों और भावनाओंकी उपेक्षा नहीं की जा सकती, रोष करनेका उचित कारण मिलेगा।

टाइम्सने भी उतना ही जोर दिया है। इसलिए इससे जाहिर होता है कि बाहरका निष्पक्ष लोकमत सर्वथा ब्रिटिश भारतीयोंके पक्षमें है। असलमें ऐसे बहुत कम मामले हैं जिनमें किसी सन्निमित्तके विरुद्ध इतने जोरोंसे सत्ताका प्रयोग किया गया हो और फिर भी विजय न्यायकी हुई हो।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १-१०-१९०४

२१८. पाँचेफस्ट्रूमके अग्निकाण्डका मूल

पाँचेफस्ट्रमकी भारतीय दूकानमें आग कैसे लगी, यह बतानेके लिए हम ट्रान्सवाल लीडरसे यह समाचार देते हैं।

स्पष्ट है कि नगर पुलिस एक कुली-भण्डारके बरामदेमें हालमें लगी आगके बारेमें परेशान है और व्यापारमण्डलसे कहा गया है कि वह आग लगानेवाले लोगोंसे सम्पत्तिकी रक्षा करनेमें सहायता करे। कप्तान जॉन्सके पत्रमें कहा गया है:
इस मामलेमें बरामदे, किवाड़ों और दरवाजों पर पैराफीत छिड़ककर उनमें मोमिया दियासलाइयोंसे आग लगानेकी तरकीब काममें लाई गई है।'
पैराफीनके कोई निशान अन्दर नहीं पाये गये हैं और कप्तान जॉन्सको पक्का विश्वास है कि यह प्रयत्न किसी द्वेषी व्यक्तिने बाहरसे किया है। वह व्यक्ति अभीतक मुक्त है और इस मामले में अपनी कोशिशों में निराश होनेसे अपनी शक्तिका प्रयोग नगरके दूसरे भागों में कर सकता है।
पत्र में आगे कहा गया है:
‘इस विचारको ध्यान में रखते हुए, मैंने रातके पहरेमें पुलिसके सिपाहियों की संख्या बढ़ा दी है; परन्तु मेरा सुझाव है कि आप अपने सदस्योंको निजी चौकीदार रखने की सलाह दे दें, क्योंकि मेरे पास इतने थोड़े आदमी हैं कि मेरे लिए आग लगानेपर तुले हुए व्यक्तिसे पूरी तरह सुरक्षाका आश्वासन देना असम्भव है।’

इसका यह उत्तर भेज दिया गया था कि गोरे व्यापारियोंकी दूकानोंको कोई खतरा होनेका खयाल नहीं है।

अग्निशामक दलके कप्तान जॉन्स इस सावधानीके लिए समाजकी ओरसे धन्यवादके पात्र हैं, परन्तु व्यापारमण्डलने उस पत्रका, जिसमें उससे निगरानी रखनेका अनुरोध किया गया था, जो जवाब दिया है, उसके बारेमें हम क्या कहें? मण्डल खूब अच्छी तरह जानता है कि गोरे व्यापारियोंकी दूकानोंको कोई खतरा नहीं है और इसलिए उसका खयाल है कि