भारतीय दूकानों में द्वेषभावपूर्ण इरादोंसे आग लगाई जाये तो भी उसके बारेमें दौड़-धूप करना मण्डलको काम नहीं।
हमें मालूम हुआ है कि पीटर्सबर्ग में भी एक ऐसी ही घटना हुई है। वहाँ एक भारतीय दूकान जला दी गई है। हमारे पास अभीतक पूरे तथ्य नहीं आ पाये हैं, परन्तु हम ट्रान्सवाल सरकारका ध्यान इस विचित्र बातकी तरफ खींचना चाहते हैं कि दोनों स्थानोंपर ये घटनाएँ एक साथ हुई। पाँचेफस्ट्रममें पहरेदार-संघकी क्रियाशीलताके साथ-साथ एक भारतीय दूकान में आग लगती है। पीटर्सबर्ग में श्वेत संघकी रचनाके बाद तुरन्त ही एक भारतीय दूकान जलती है और हमारे खयालसे इन दोनों स्थानोंकी यह प्रवृत्ति सर आर्थर लाली और लॉर्ड मिलनरके खरीतोंका सीधा परिणाम है। उनसे शरारतियोंको असाधारण प्रोत्साहन मिला है।
इंडियन ओपिनियन, १-१०-१९०४
२१९. ट्रान्सवालके गरम स्नानागार
ट्रान्सवालके वार्मबाथ्स [गरम स्नानागारों]—से एक भाईने हमें गुजरातीमें शिकायत भेजी है कि अधिकारी ब्रिटिश भारतीयोंको इस प्रसिद्ध रोग निवारक जलके उपयोगकी सुविधाएँ नहीं देते। वह कहता है कि यदि कोई भारतीय उसका उपयोग करना चाहता है तो उसे सिर्फ काफिरोंके लिए अलग रखे गये स्नानागारोंमें चले जानेका निर्देश कर दिया जाता है। यह मालूम होता है कि उसने भारतीयोंके लिए एक स्थान बनानेका प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसका स्वागत नहीं किया गया। हमें विश्वास है कि अगर हमारे संवाददाताके कथनमें कुछ भी सचाई है तो सरकार इस कठिनाईका तुरन्त उपाय करेगी और जो भारतीय इस जलका उपयोग करना चाहें उनको उचित सुविधा प्रदान करेगी।
हम ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघका ध्यान इस पत्र की ओर आकर्षित करते हैं।
इंडियन ओपिनियन, १-१०-१९०४
२२०. केपके भारतीय
हम एक अन्य स्तम्भमें केप-सरकार द्वारा केप टाउनके ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्री श्री ए० कादिरको लिखित पत्र छापते हैं। यह उस शिकायतके सम्बन्ध में है जो संघने प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिनियम के अमलके बारेमें की थी। पत्र काफी शिष्टतापूर्ण है, परन्तु उसके पक्ष में इससे अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता। सरकारने एक भी महत्त्वपूर्ण बातमें कोई रियायत नहीं दी है और उसी कानूनकी आड़ ली है जिसके विरुद्ध राहत माँगी गई थी। संघने एक बहुत ही युक्त प्रार्थना की थी कि स्थानीय भारतीय व्यापारियोंको अपने नौकर भारत लौट जानेपर बदले में दूसरे नौकर भारतसे लानेकी कुछ सुविधा दी जाये। उत्तर यह दिया गया है कि ऐसा नौकर, यदि कोई यूरोपीय भाषा नहीं जानता तो, उपनिवेशमें प्रविष्ट नहीं हो सकता। ऐसा ही उत्तर उपनिवेशमें बसे हुए व्यक्तियोंको उनके नाबालिग भाइयोंके सम्बन्ध में दिया गया है, परन्तु उत्तरमें प्रश्नको केवल टाला ही गया है। जैसा कि पत्रके प्रारम्भिक