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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/३२३

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एक अच्छा उदाहरण

अनुच्छेद में कहा गया है, यदि सरकार वास्तवमें इस बात के लिए उत्सुक है कि "कानूनका अमल इस तरह हो जिससे किसी व्यक्ति या समाजके किसी विशेष समूहको, चाहे वह किसी भी वर्ग, रंग या धर्मका हो, अनावश्यक कष्ट न हो" तो सरकारको वांछित दिशामें राहत देनेकी काफी सत्ता प्राप्त है। केपके कानूनकी एक धारामें विशेष छूटकी गुंजाइश रखी गई है और निश्चय ही हमारा यह विचार है कि अगर यहाँ बसे हुए व्यापारियोंका कुछ भी खयाल किया जाये तो उन्हें बाहरसे नौकर लानेका हक होना चाहिए। नौकरोंको किसी यूरोपीय भाषा में लिखना आता हो या न आता हो, उन्हें प्रतिबन्धोंके साथ और नागरिकताके पूरे अधिकार दिये बिना उपनिवेशमें प्रवेशकी इजाजत दी जा सकती है। परन्तु यदि पूरा निषेध लागू किया जाता है तो उसका यह अर्थ होता है कि यहाँ बसे हुए भारतीयोंकी स्थिति दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक विषम होती जायेगी और चूँकि देशी नौकर मिलना बन्द हो जायेगा, जैसा कुछ समयमें होना निश्चित है, हम आशा करते हैं कि ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्री इस मामलेको तबतक न छोड़ेंगे जबतक पूरा न्याय नहीं किया जाता।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १-१०-१९०४

२२१. एक अच्छा उदाहरण

हम श्री उमर हाजी आमद झवेरीका हार्दिक स्वागत करते हैं जो देशसे लम्बे अरसेतक दूर रहने और यूरोप तथा अमेरिकाके लम्बे भ्रमणके बाद लौटे हैं। हमारे खयालसे श्री उमरने इन महाद्वीपोंका दौरा करके बहुत बुद्धिमानी की है। हमारे व्यापारी इन देशोंमें जितना अधिक जायेंगे, वे व्यापार और जीवनके दूसरे क्षेत्रोंमें उतनी ही अधिक सफलता प्राप्त कर सकेंगे। केवल तफरीह करनेके लिए नहीं, बल्कि ज्ञानप्राप्त करने और विचारोंको उदात्त बनानेके लिए यूरोप और अमेरिकाकी यात्रा करनेके बाद, मनुष्य अनेक कठिनाइयोंका सामना कर सकता है, खास तौरसे ऐसी कठिनाइयोंका जैसी दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंके सामने दरपेश हैं। और श्री उमरने इस बारेमें दूसरे व्यापारियोंके लिए अनुकरणीय उदाहरण उपस्थित किया है। हमें आशा है, श्री उमर अपनी यात्रामें प्राप्त ज्ञानका पूरा उपयोग करेंगे और, जहाँ भी जरूरत होगी, उसपर अमल करेंगे।

[ अंग्रेजीसे
इंडियन ओपिनियन, १-१०-१९०४