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डॉ० पोर्टरका निशाना ठीक ठीकाने पर

जायेंगे और जंगलमें रहने को मजबूर किये जायेंगे? यह कल्पना ही घृणास्पद है और हम आशा करते हैं कि श्री लिटिलटन उन लोगोंके, जिनका एकमात्र अपराध उनकी भूरी चमड़ी है, अधि-कारोंकी सामूहिक जन्तीमें शरीक नहीं होंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २२-१०-१९०४

२३०. डॉ० पोर्टरका निशाना ठीक ठिकानेपर

शक्तिशाली डॉ० पोर्टर जोहानिसबर्ग के कई स्थानोंकी गन्दी हालतपर विद्वतापूर्ण प्रतिवेदन लिखने में फिर व्यस्त हैं। पहले गन्दे इलाकेकी तरह ही मौजूदा मामलेमें भी उन्होंने जोहानिसबर्गकी उस बस्तीका, जो फैरेरासके नामसे विदित है, अत्यन्त भयंकर और सनसनीदार चित्र खींचा है। उन्होंने नगर परिषदको अत्यन्त जोरदार शब्दों में सूचना दी है कि उनके द्वारा वर्णित इलाकेकी अविलम्ब पूरी सफाई की जानी चाहिए। वे कहते हैं:

इन इलाकों में अनेक घर, झोंपड़ियाँ, कमरे, सहन और गलियाँ हैं जो खराब व्यवस्था, क्षेत्रकी घनी आबादी, ठीक-ठीक सफाईकी सुविधाओंके अभाव और अपनी बहुत बुरी और टूटी-फूटी अवस्थाके कारण आसपासके निवासियोंकी तन्दुरुस्तीके लिए न सिर्फ खतरनाक और हानिकारक हैं, बल्कि आम तौरपर नगरपालिकाके लिए एक बड़ा गम्भीर खतरा भी हैं।

अब, यह स्वीकार किया गया है कि यह इलाका जैसा है वैसा कमसे-कम पिछले दो सालसे पड़ा है। अगर यह इतना गन्दा है, और हम इससे इनकार नहीं करते कि यह इतना गन्दा है, तो मामला इससे पहले हाथमें क्यों नहीं लिया गया? हमें बहुत बड़ा अन्देशा है कि महीनों तक यह प्रतिवेदन सिर्फ टाउन क्लार्कके दफ्तरकी अलमारियोंमें पड़ा रहेगा और हालत बहुत कुछ वही बनी रहेगी जो आज है, यद्यपि हमें मौजूदा खतरेका सामना करनेके लिए जरूरत शब्दोंकी नहीं, कार्यकी है। बेशक प्रतिवेदन दिलचस्प है और उसे पढ़कर दुःख भी होता है। शायद इसका उद्देश्य यह भी हो कि बूढ़ी औरतें डर जायें और अपने मकानों और आस-पासकी हालतोंके बारेमें सावधान रहें। अगर यह बस्ती इतनी भयंकर रूपमें गंदी है तो इसके लिए अधूरे उपाय उपयुक्त नहीं हैं। इसमें जो इमारतें हैं उन्हें एक क्षणकी देर किये बिना जला देना चाहिए, किन्तु हमें बहुत अन्देशा है कि गन्दे इलाके के बारेमें जो अनुभव हुआ है वह फैरेरास बस्तीके मामले में दुहराया जायेगा। यह जानकारी दिलचस्प होगी कि इस सारे इलाकेकी आबादी १,८१२ है जिसमें से २८८ भारतीय, ५८ सीरियाई, १६५ चीनी, २९५ केपवाले, ७५ काले और ९१९ ( या आधेसे अधिक) गोरे हैं । गन्दे बाड़ोंकी आबादीमें २५५ कुली, १७ सीरियाई, १२६ चीनी, १९२ केपवाले, ३१ काले और २४१ गोरे हैं। इस प्रकार, इस इलाके में भारतीयोंकी अपेक्षा गोरोंका दोष अधिक है और नगर परिषदका सबसे ज्यादा है। और यद्यपि किसी अन्य वर्ग के लोगोंकी अपेक्षा गोरोंके विरुद्ध कार्रवाई ज्यादा जरूरी है, फिर भी हमारा क्षण-भरके लिए यह खयाल नहीं होता कि कोई ऐसी बात होगी। इस प्रतिवेदनका उपयोग ब्रिटिश भारतीयोंपर और अधिक निर्योग्यताएँ लगानेके लिए किया जायेगा। लोक-स्वास्थ्य समितिने उनको जोहानिसबर्गसे लगभग १३ मील दूरके इलाकेमें रहनेके लिए मजबूर करनेके उद्देश्यसे इस प्रतिवेदनका उपयोग पहले ही शुरू कर दिया है। नगर परिषदने