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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

फैला जब बस्ती पूरी तरह नगर परिषद के अधिकारमें आ गई, जब वह जो चाहती थी सो पा गई और साथ-साथ उसे बस्तीको नितान्त साफ-सुथरी रखनेका अवसर मिल गया। मुझे भय है कि परम माननीयको प्लेगके उद्भवके सम्बन्धमें एकदम गलत जानकारी दी गई है। मामला खतम हो गया है। भारतीयोंने नाहक कष्ट भोग लिया है; किन्तु मेरे द्वारा कही गई बातें आसानीसे जाँची जा सकती हैं। मेरा खयाल है डॉ० पेक्सका विरोध इंडियन ओपिनियनके सम्पादकीयके इस अंशके सन्दर्भ में है: स्पष्ट है कि डॉ० पेक्सने जब यह कहा था कि दूरस्थ जिलोंमें जो कदम उठाये जा रहे हैं उनका हेतु प्लेगको रोकनेकी अपेक्षा भारतीयोंका उन्मूलन करना अधिक है, तब उन्होंने सच ही कहा था[१]।" डॉ० पेक्सने सचमुच ऐसा कहा हो चाहे नहीं, अखबारोंमें, उन्होंने ऐसा कहा, यह खबर थी। प्रस्तुत उल्लेख अखबारकी खबर के आधारपर किया गया है।

मैं आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर भी आकर्षित करना चाहता हूँ कि विधान परिषदके सदस्य और उपनिवेशके स्वास्थ्य अधिकारी डॉ० टर्नरके कथनसे इस दावेकी लगभग पुष्टि हो जाती है कि इस भयानक प्रकोपकी जिम्मेदारी नगर परिषदपर है। इस पत्रका आप जो उपयोग उचित समझें, करें।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो नकल (जी० एन० २२६३ ) से।

२३८. पत्र: उच्चायुक्तके सचिवको

[ जोहानिसबर्ग ]
अक्टूबर ३१, १९०४

सेवामें
निजी सचिव
परमश्रेष्ठ उच्चायुक्त
जोहानिसबर्ग
महोदय,

यदि आप यह पत्र परमश्रेष्ठ के सामने रखनेकी कृपा करें तो मैं बहुत आभार मानूँगा। माननीय श्री दादाभाईने अपने पत्रके जवाबमें श्री लिटिलटनसे प्राप्त पत्रकी एक प्रति-लिपि मुझे भेजी है और उसके साथ, जोहानिसबर्ग में प्लेग फैलनेसे सम्बन्धित पिछली ४ अप्रैलको उन्हें लिखा गया मेरा पत्र भी नत्थी किया है। इस विषय में परमश्रेष्ठके खरीतेका एक अंश श्री लिटिलटनने उद्धृत किया है और चूंकि उसमें मेरे द्वारा दिये गये वक्तव्योंका जिक्र है, मैं उसके बचाव में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करके परमश्रेष्ठका कुछ समय लेनेकी धृष्टता कर रहा हूँ। परमश्रेष्ठने कहा है:

मैं इस वक्तव्यको पूर्णतः अनुचित मानता हूँ कि जोहानिसबर्ग नगरपालिकाकी उपेक्षाके बिना हालमें हुए प्लेगका फैलना सम्भव नहीं था। जोहानिसबर्ग परिषदने लापरवाही

  1. देखिए “ट्रांसवालमें प्लेग,” १-४-१९०४|