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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‌मय
मैंने जो कुछ सुना है, उससे मेरा विश्वास है कि बस्तीमें मृत्यु-संख्या काफी बढ़ गई है और मुझे लगता है कि आज जो हालत है वह यदि बनी रही तो, आज हो या कल, कोई संक्रामक बीमारी फैले बिना नहीं रह सकती।

१५ फरवरीको डॉ० पोर्टरके नाम दूसरे पत्रमें मैंने पहले पत्र में उल्लिखित नुक्तोंपर विस्तारसे लिखा और कुछ सुझाव देनेकी धृष्टता भी की; किन्तु १८ मार्चतक कुछ नहीं किया गया — यद्यपि १ मार्चको मैंने डॉ० पोर्टरको लिखी गई सूचनामें कहा था कि मेरी रायमें प्लेग वास्तवमें फैल चुका है।

मैं, परमश्रेष्ठके अवलोकनार्थ, जो पत्रव्यवहार पत्रों में प्रकाशित हुआ था उसकी पूरी नकल नत्थी कर रहा हूँ। मुख्य तथ्योंको आजतक चुनौती नहीं दी गई, और चूँकि मैं, बस्तीके निवासी पिछले वर्षसे जिसमें से गुजरे हैं, ऐसी हर परिस्थितिको जानता हूँ, मुझे विनयपूर्वक यह कहने पर बाध्य होने की जरूरत जान पड़ती है कि जोहानिसबर्ग नगरपालिकाकी अक्षम्य उपेक्षा के बिना प्लेग कभी नहीं फैल सकता था। अस्वच्छ क्षेत्रकी सारी आबादीको स्थानान्तरित करनेकी बड़ी-बड़ी योजनाओंके मुकाबलेमें सामने पड़े हुए तात्कालिक कामकी पूरी उपेक्षा की गई।

अन्तमें मैं यह कह सकता हूँ कि श्री नौरोजीको लिखने में सत्यकी सेवा और अपने देश- वासियोंकी अन्यायपूर्ण आरोपके समक्ष सुरक्षाके अतिरिक्त मेरी और कोई अभिलाषा नहीं थी। मुझे विश्वास है कि इस पत्रके विषयकी महत्ताको परमश्रेष्ठका मूल्यवान् समय लेनेका पर्याप्त कारण माना जायेगा।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (सी० डब्ल्यू० २२६४ -- २,३,४,५ ) से।

२३९. तार : उपनिवेश-सचिवको

[ जोहानिसबर्ग ]
नवम्बर ३, १९०४

सेवामें
उपनिवेश सचिव
[ प्रिटोरिया ]

श्री रॉबिन्सन सूचित करते हैं, लॉर्ड अभिनन्दनपत्र स्वीकारकरेंगे। रॉबर्ट्स भारतीय समितिसे प्रिटोरिया मुकामके समय क्या अभिनन्दनपत्र स्वीकारकरेंगे। क्या कृपया लॉर्ड महोदयसे तारीख करेंगे।

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

प्रिटोरिया आर्काइव्ज: ९२/२, एल० जी० ९३ : एशियाटिक्स १९०२-१९०६, फाइल सं० २।