हमारे लिए यह कम गर्वका विषय नहीं है कि भारतने ही साम्राज्यको आधुनिक कालका सबसे बड़ा सिपाही दिया है, जिसमें सिपाहीकी कठोरता और साधुकी कोमलताका सामंजस्य है।
हम भगवान्से प्रार्थना करते हैं कि वह आपको, काउंटेस राबर्ट्सको और परिवार भरको अपना अनुग्रह प्रदान करे और साम्राज्यको दीर्घ कालतक आपकी अनुभवी सलाहोंका लाभ मिलता रहे।
प्रिटोरिया, नवम्बर ९, १९०४।
आपके विनम्र और आशाकारी सेवक,
अब्दुल गनी
हाजी मुहम्मद हाजी जुसब
हाजी हबीब हाजी दादा
एम॰ एस॰ कुवाड़िया
इस्माइल आमद मुल्ला
अमृतलिंग चेट्टी
आमद हाजी तैयब
अहमद लतीब
हाजी उस्मान हाजी अब्बा
मो॰ क॰ गांधी
यह चमड़ेके कागजपर सुन्दर—सुनहले अक्षरोंमें लिखा गया था और कुमारी ऐडा एम॰ बिसिक्सने, जिनके हाथोंमें यह काम सौंपा गया था, इसके लिए एक बिलकुल मौलिक नमूना सोचा था। मानपत्रका बाईं ओरका सारा भाग भारतके सुन्दर पक्षी मोरके हूबहू चित्रने घेर लिया है। अक्षर भी बहुत सुन्दर हैं और सारी सजावट एक कलाकृति है। मानपत्र ठोस चाँदीके डिब्बेमें बन्द था जिसपर कमलके फूल खुदे हुए थे। मानपत्र और डिब्बा दोनों ही उस विशिष्ट प्राप्तिकर्ता और भारतीय समाजके अनुरूप थे।
इंडियन ओपिनियन, १९-११-१९०४