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२५३. ऑरेंज रिवर उपनिवेश और ब्रिटिश भारतीय

८ तारीखको ब्लूमफौंटीनमें जो किसान सम्मेलन हुआ था उसमें ऑरेंज रिवर उपनिवेशके परमश्रेष्ठ गवर्नरने उस उपनिवेशके भारतीय-विरोधी कानूनके बारेमें निम्नलिखित विचार प्रकट किये :-

इस उपनिवेशमें एशियाइयोंके आगमनके बारेमें बात यह है कि मेरे लिए इस सवालको थोड़ा छेड़ना भी बहुत खतरनाक है। क्योंकि ब्रिटिश भारतीयोंके बारेमें हमारे इंग्लैंडवासी लोगों की भावना बहुत तीव्र है, परन्तु में इतना कह सकता हूँ कि कानून में पिछली सरकारके मंजूर किये हुए कानूनसे फिलहाल कोई परिवर्तन नहीं होगा और न अभी कोई परिवर्तन करनेका हमारा खयाल है ।

तो अब हमें उपनिवेशके ब्रिटिश भारतीयोंकी निर्योग्यताओंके बारेमें राज्यके प्रधानकी तरफ से एक निश्चित घोषणा मिल गई है। इसलिए जाहिर है कि ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें प्रवेश करते ही भारतीयोंपर जो अपमानजनक प्रतिबन्ध लगा दिये जाते हैं, उनसे कोई राहत नहीं मिलेगी । [ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १९-११-१९०४

२५४. लॉर्ड नॉर्थब्रुककी मृत्यु

बुधवारकी दोपहरको माननीय लॉर्ड नॉर्थब्रुककी[१] मृत्युका समाचार पढ़कर हमें अत्यन्त खेद हुआ । वर्षोंसे हम लोग लॉर्ड नॉर्थब्रुकका नाम सुन रहे हैं। लॉर्ड मेयोका खून होनेके बाद लॉर्ड नॉर्थब्रुक भारतके वाइसराय और गवर्नर जनरल बने । उनके समय में हमेशा याद रखने लायक दो ऐतिहासिक घटनाएँ हुई -- हमारे युवराज (प्रिन्स ऑफ वेल्स) ने भारतकी यात्रा की[२] और बड़ौदा-नरेश श्री मल्हारराव गायकवाड़ गद्दीसे उतारे गये । हमारे लिए विशेष दुःखका कारण यह है कि हम लोगोंके प्रति उनकी बहुत सद्भावना थी । १८९७-९८ में, जब दक्षिण आफ्रिका भारतीय प्रतिनिधि लन्दनमें थे, इन माननीय महोदयने अनेक प्रसंगोंपर उन्हें उत्तम परामर्श दिया था और आवश्यकता प्रतीत होनेपर खासी सहायता भी दी थी। इतना ही नहीं, बल्कि यह भी कहा था कि यदि हमारा प्रश्न कभी लॉर्ड-सभामें उठाना पड़े तो वे पूरी सहायता देंगे। इसके बाद उनकी सहानुभूतिके पत्र डर्बन भी आया करते थे। हमारा विश्वास है कि यहाँको कांग्रेस उपयुक्त प्रस्ताव स्वीकृत करके अपने कर्तव्यका पालन करेगी। जोहानिसबर्ग में ट्रान्सवालके भारतीयोंने उपयुक्त प्रस्ताव स्वीकृत किया, यह बड़ा अच्छा किया है, इसमें हमारी पूरी सहमति है ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १९-११-१९०४

  1. सन् १८७२ से ७६ तक भारतके वाइसराय ।
  2. सन् १८७५ में ।