२५९. दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंके सम्बन्धमें
"आंग्ल भारतीय "
हमारी मेजपर समीक्षाके लिए एक रोचक लेख पड़ा है ।वह १० नवम्बरके रैंड डेली मेलमें छपा था । उसका शीर्षक था : असली भारतीय खतरा इसका लेखक एक आंग्ल भारतीय है । लेखकने भारतीयोंको बिलकुल बहिष्कृत करनेके पक्षमें बड़ी ही अजीब दलीलें दी हैं। वह कहता है :
गोरोंके देशके रूपमें ट्रान्सवालके भविष्यकी खातिर यह आशा की जानी चाहिए कि भारतीय व्यापारियोंको दूर रखनेके लिए मूर्ख नगरीकी-सी प्रतिबन्ध-प्रणाली काफी नहीं समझी जायेगी।
फिर वह कहता है :
इसका कारण कोई भारतीय भावना या सफाई, तन्दुरुस्ती या सदाचारका खयाल या कोई अन्य अर्द्धभावुकता नहीं है। जो एशियाइयोंको जानते हैं उनका विश्वास है कि उनका बाहर रहना ही दक्षिण आफ्रिकाके लिए बेहतर है। यह सावधानी आत्मरक्षाको स्वाभाविक भावनासे प्रेरित है।
फिर लेखक वह कारण बताता है जिससे वह भारतीयोंको खतरनाक समझता है, और कारण यह है :
एक लाख भारतीयोंको दक्षिण समुद्र के किसी वीरान टापूमें रख दीजिए और दूसरे टापूमें एक लाख काफिरोंको। दोनोंको एक शताब्दीतक अपने-अपने उद्धारके उपाय करनेके लिए छोड़ दीजिए। इस अवधि के अन्तमें आप देखेंगे कि काफिर तो मिट्टी की झोपड़ियोंवाले गाँवमें बैठे जोकी शराब पी रहे हैं, और भारतीयोंने एक राज्य कायम कर लिया है, कुछ शहर बना लिये हैं, जहाजोंका बेड़ा तैयार कर लिया है और दूसरे देशोंके साथ व्यापार स्थापित कर लिया है एवं ऐसी संस्कृति तथा ऐसे धर्मका विकास कर लिया है जो कई बातों में पश्चिममें उपलब्ध किसी भी संस्कृति और धर्मको बराबरीके हैं।
इस तरहका तर्क बड़ा भ्रामक है । लेखकने स्पष्ट ही कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्योंकी, और इतिहासके अनुभवकी भी, अवहेलना की है। हमें श्री लिटिलटन बताते हैं कि दक्षिण आफ्रिका गोरोंका देश नहीं है और जबतक यूरोपीयों और काफिरोंके बीच संख्याकी बड़ी असमानता काफिरोंके पक्ष में रहती है तबतक, यह बहुत आश्चर्यकी बात है, कोई व्यक्ति दक्षिण आफ्रिकाको गोरोंका देश कैसे कह सकता है। अभी उस दिन श्री लिटिलटनने कहा था कि ऐसा न होता तो वे चीनियोंको ट्रान्सवालमें लानेकी मंजूरी कभी न देते। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि, गलत हो या सही, गोरे लोग दक्षिण आफ्रिकामें आदिसे अन्ततक मालिक बनकर रहना चाहते हैं । वे शारीरिक काम नहीं करना चाहते। ऐसी परिस्थितियों में दक्षिण आफ्रिकाकी अर्थ-व्यवस्थामें अवश्य ही काफिरोंका बहुत महत्त्वपूर्ण भाग रहेगा और जबतक दक्षिण आफ्रिकामें ऐसी परिस्थि- तियां रहेंगी तबतक भूरे लोगोंका स्थान भी यहाँ अवश्य रहेगा। अगर ऐसा न होता तो