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२६०. प्रार्थनापत्र : लेफ्टिनेंट गवर्नरको

जोहानिसबर्ग
दिसम्बर ३, १९०४

सेवामें

परमश्रेष्ठ स्थानापन्न लेफ्टिनेंट गवर्नर

प्रिटोरिया

अब्दुल गनी, अध्यक्ष, ब्रिटिश भारतीय संघ, जोहानिसबर्गका आवेदनपत्र । सविनय निवेदन है कि,

आपका आवेदक रैंड प्लेग-समिति के सामने पेश किये गये ब्रिटिश भारतीयोंके कुछ दावोंके सम्बन्धमें आदरपूर्वक महामहिमके समक्ष उपस्थित होना चाहता है । ये दावे उस माल असबाबसे सम्बन्ध रखते हैं, जो इस वर्ष उपनिवेशमें प्लेग फैलनेपर उक्त समितिके आदेशसे नष्ट कर दिया गया था ।

जोहानिसबर्गकी पूर्व भारतीय बस्तीमें प्लेग फैलनेका पता लगने के बाद उसके निवासियोंको कुछ दिनोंके लिए घेरेमें रखा गया था । बादमें उन्हें क्लिप्सप्रूटके एक पृथक शिविरमें हटा दिया गया था । क्लिप्सप्रूट ले जानेकी कार्रवाई बहुत थोड़े समयकी सूचनापर की गई थी। जब बस्तीके लोगोंको क्लिप्सप्रूट हटाया गया, उन्हें आम तौरपर विस्तरके अलावा कोई सामान ले जाने नहीं दिया गया। उन्हें आदेश दिया गया था कि वे अपनी सब कीमती चीजें, साज- सामान और यहाँ तक कि पलंग भी वहीं छोड़ जायें ।

उनके विरोध करनेपर विशेष प्लेग-अधिकारी डॉ० पेक्सने उन्हें आश्वासन दिया था कि समिति नष्ट किये जानेवाले सारे मालका मुआवजा चुकायेगी; इसलिए भारतीयोंको कोई चिन्ता नहीं करनी चाहिए। इसी समझौतेपर भारतीय अपने साथ कोई सामान लिये बिना विलप्सप्रूट चले गये थे । मालिकोंके विरोधके बावजूद कुत्ते-बिल्ली जैसे घरेलू जानवरोंको भी मार डाला गया था, और अधिकतर पक्षियोंकी भी यही हालत की गई थी। डॉ० पेक्सके आश्वासनके बावजूद रैंड प्लेग-समितिने अपनी जिम्मेदारीसे इनकार कर दिया है। इनकारी किस आधारपर की गई, यह दावेदारोंको भेजे गये पत्रोंमें स्पष्ट किया गया है। समिति के सहायक सेक्रेटरी दावोंको अस्वीकार करते हुए लिखते हैं:

मुझे आपको सूचित करनेका निर्देश हुआ है कि, वकीलकी सलाहपर चलते हुए, समिति इस रकमका भुगतान करनेका दायित्व स्वीकार नहीं कर सकती। प्लेग-सम्बन्धी नियमोंके अनुसार, कोई भी ऐसी वस्तु, जिसमें गिलटीवाले अथवा पूर्वीय प्लेगकी छूत लग जानेकी सम्भावना हो, या जिससे गिलटीवाले अथवा पूर्वीय प्लेगकी छूत फैलनेकी आशंका हो, छूत रहित की जा सकती है, और यदि किसी कारणसे छूत रहित करना असम्भव हो तो उसे नष्ट किया जा सकता है । समितिको सलाह दी गई है कि इन विनियमों (रेगुलेशन्स) के अनुसार अपने अधिकारों या कर्तव्योंके पालनके लिए उसे जो काम करने पड़े उनके लिए उसपर मुआविजेका दायित्व नहीं है।