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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उनमें कोई गलती न निकाली जा सके और आप समझें कि मेरा वक्तव्य सही प्रमाणित हो गया है तो, मुझे आशा है, आप श्री क्लाइनेनबर्गसे ५० पौंड वसूल करके नासरत हाउसको दे देंगे। एक बात और कहकर मैं समाप्त कर दूंगा । आपको कष्ट देनेमें मेरा उद्देश्य जनताके सामने सत्य और केवल सत्य पेश करना है। श्री क्लाइनेनबर्ग पीटर्सबर्ग के ब्रिटिश भारतीयोंके लिए सुपरिचित हैं। मुझे कोई सन्देह नहीं कि उनकी नीयत अच्छी है । और, मेरे संघने राष्ट्रीय सम्मेलनमें कही गई बातोंको उठाकर जहाँ-कहीं भी आवश्यक हो, उनका प्रतिवाद करना जो अपना कर्तव्य समझा है, वह इसलिए कि मेरा विश्वास है, इस विवाद में जानकारीका अभाव सबसे ज्यादा उपद्रवकारी है ।

ऊपर जिन वस्तु भण्डारोंका संकेत किया गया है वे हैं :

हासिम मोती ऐंड कं० (३), तार मुहम्मद तैयब (२), अहमद मूसा भायात ( २ ), अहमद इब्राहीम वाड़ी, अब्दुललतीफ अली, कासिम सुलेमान, कासिम तैयब, उस्मान मुहम्मद ऐंड कं० (२), गनी हासिम, हाजी मुहम्मद, तैयब हाजी खान मुहम्मद (३), जमील अहमद उस्मान, हासिम मुहम्मद, अभेचन्द, इब्राहीम मुहम्मद और गडीत ।

आपका, आदि,
अब्दुल गनी

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३१-१२-१९०४

२६२. रैंड प्लेग-समिति

ब्रिटिश भारतीय संघने स्थानापन्न लेफ्टिनेंट गवर्नरके नाम जो आवेदनपत्र[१] भेजा है उसे हम दूसरे स्तम्भमें प्रकाशित कर रहे हैं । गत मार्चमें जोहानिसबर्ग में प्लेगकी बीमारी फैलनेपर रैंड प्लेग समितिके निर्देशसे जो सामान नष्ट कर दिया गया था उसके सम्बन्ध में समितिके सामने कुछ दावे दायर किये गये हैं; संघका आवेदनपत्र इन्हीं दावोंके सम्बन्धमें है। उससे रैंड प्लेग समितिकी क्षुद्रता और तमाम नैतिक दायित्वोंकी हृदयहीन उपेक्षापर प्रकाश पड़ता है। आवेदकोंके कथनानुसार, माल असबाब जलाने के पहले डॉ० पेक्सने निश्चित वादा किया था कि सामानके मालिकोंको मुआवजा दिया जायेगा; और अगर यह सच हो कि लकड़ीकी साज-सज्जा, धातुकी चीजें और सूखे खाद्य-पदार्थोंसे भरे बोरेके-बोरे जला दिये गये थे, तो यह सत्यानाश अवश्य ही लोगोंके स्वास्थ्यको खतरेसे बचानेके लिए उतना न किया गया होगा, जितना उनकी कल्पनाको प्रभावित करने और उनकी भावनाओंको तुष्ट करनेके लिए किया गया होगा। यह मान लेना भयानक होगा कि लोहेका पलंग या लकड़ीका साज-सामान भी ठीक तरहसे छूतसे रहित नहीं किया जा सकता था । यह स्मरणीय है कि जब पहले-पहल नेटालमें प्लेग फैला, तब नेटाल सरकारने भारत सरकारसे पूछा था कि क्या, उसके खयालसे, चावल तथा अन्य खाद्य पदार्थों द्वारा प्लेगकी छूत फैलनेकी सम्भावना है। भारत सरकारने उसे विशेषज्ञोंका यह अभिमत सूचित किया था कि भारतके प्लेग-ग्रस्त जिलोंसे भी चावल के बोरे और ऐसे ही अन्य खाद्यपदार्थ मँगानेमें छूत फैलनेका कोई खतरा नहीं है।

  1. देखिए “ प्रार्थनापत्र : लेफ्टिनेंट गवर्नरको ”, दिसम्बर ३, १९०१ ।