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२६५. श्री हुंडामलका मुकदमा[१]

दिसम्बर १४, १९०४

श्री गांधीने दरखास्त की कि यदि अपीलमें श्री हुंडामल खर्चसहित मुकदमा जीतें तो जो- कुछ दूसरे खर्चे हों उन्हें वे चुकायें, नहीं तो कांग्रेस खर्च दे, शर्त यह है कि वह ५० पौंडसे अधिक न हों और जो जुर्माना हुआ है उसे श्री हुंडामल चुकायें ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १७-१२-१९०४

२६६. फिर हुंडामलका परवाना

एक प्रसिद्ध विज्ञापनके गंगाल (टब) में मचले बैठे बालककी भाँति नगर-परिषद तबतक खुश न होगी जबतक वह श्री हुंडामलका परवाना छीन कर उसे बरबाद नहीं कर देती । इसलिए उस अभागे व्यापारीके नाम फिर सम्मन जारी कर दिया गया और हमारे राजनीतिक मजिस्ट्रेट श्री स्टुअर्टने एक असाधारण फैसले में उन्हें दोषी पाया और २० पौंड जुर्मानेकी अधिकसे- अधिक सजा दे दी। श्री स्टुअर्टने यह बात भुला दी कि अभियुक्त कानूनी सलाहके अनुसार काम कर रहा है और उससे पूछा कि अगर यूरोपीय लोग कानूनका पालन करते हैं तो भारतीयों- को क्यों नहीं करना चाहिए? हमारी समझमें नहीं आता कि यूरोपीयों या भारतीयोंके बीचके भेदका कानूनकी व्याख्यासे क्या वास्ता है । फिर श्री स्टुअर्ट यह सुझाव देते हैं कि भारतीयोंको रोमकी इस कहावतका अनुसरण करना चाहिए कि "रोममें रहो तो रोमवासियोंकी तरह चलो । हम चाहते हैं, हमारे साथ इन सलाह देनेवालोंका बरताव रोमवासियोंका जैसा ही होता । मालूम होता है, यह बात कहते समय श्री स्टुअर्टको यह कभी नहीं सूझा कि यूरोपीयोंको अपने परवाने बदलवानेमें कोई कठिनाई नहीं होती । किन्तु हमें मालूम हुआ है कि अपीलकी सूचना दे दी गई है; इसलिए जनताको यह निर्णय करनेका दुबारा मौका मिलेगा कि श्री स्टुअर्टके अन्त:- करणमें राजनीतिकी भावना न्यायकी भावनापर कहाँ तक विजयी होती है। चूँकि मामला विचाराधीन है, इसलिए मुकदमेके गुण-दोषोंका विचार हमें नहीं करना चाहिए।

हमारे सहयोगी नेटाल मर्क्युरीने इस मामलेपर ऐसे विचार प्रकट करना उचित समझा है जो उसकी न्यायपरायणताकी सामान्य ध्वनिके अनुरूप नहीं है । हमारा सहयोगी कहता है :

हुंडामलके मामलेसे स्पष्ट हो जाता है कि परवानोंकी मंजूरीके मामलेमें भारतीयोंने स्थानीय अधिकारियोंसे लड़नेका संकल्प कर लिया है। मामला अदालतके विचाराधीन है और उसपर आज सुबह फैसला दिया जायेगा, इसलिए मुझे उसके बारेमें कुछ नहीं कहना है। असलमें जबतक फैसला घोषित न कर दिया जाये, ऐसा करना निहायत बेजा होगा; लेकिन इस साधारण प्रश्नपर मैं कह सकता हूँ कि यह बहुत स्पष्ट है कि

  1. श्री हुंडामलको परीक्षात्मक मुकदमे में आर्थिक सहायता देनेके प्रश्नपर नेटाल भारतीय कांग्रेसने दिसम्बर विचार किया