आपसमें वे जो कुछ देन-लेन करें सो बात दूसरी है; परन्तु व्यापारके नामसे वहाँ कुछ भी होना सम्भव नहीं हो सकेगा। फिर भी लॉर्ड मिलनर हमें आश्वासन दे ही रहे हैं कि बाजारोंके लिए ऐसे स्थान चुने जायेंगे जिनमें भारतीयोंको शहरकी गोरी और काफिर—दोनों आबादियोंके व्यापारका काफी हिस्सा मिल सकेगा। यह स्पष्ट नहीं है कि समितिने पहलेके ५०×५० के बजाय अब जो ३०×२० के बाड़े बनानेका सुझाव दिया है वह भारतीय बस्तीपर भी लागू है या नहीं। देखें, सरकार इस अन्यायपूर्ण प्रस्तावके बारेमें क्या कहती है। ट्रान्सवालमें काम बहुत जल्दी-जल्दी होते हैं। करोड़पति चाहते हैं कि थोड़े वर्षों में ही यहाँका सब सोना निकाल लें। नगर-परिषदने हजारों निर्दोष लोगोंकी जमीनें बातकी बातमें छीन ली है। इसलिए स्वास्थ्यसमितिके नीचे लिखे शब्दोंका अर्थ क्या है, सो हम ठीक तरहसे समझ सकते हैं :
बर्गर्सडॉर्पकी पुरानी भारतीय मजदूर बस्ती और अस्वच्छ क्षेत्रके दूसरे हिस्सोंसे जिन एशियाइयोंको हटाया जायेगा, उनको बसानेके लिए तुरन्त स्थानका प्रबन्ध करना अति आवश्यक है। अतः यह जरूरी है कि इस योजनाको जल्दसे-जल्द हाथमें लिया जाये।
इंडियन ओपिनियन, ८-१०-१९०३
६. ट्रान्सवालके लिए परवाने
परवानोंके नियमोंके सम्बन्धमें एक विज्ञापन हमने पिछले अंकमें छापा था। हम अपने भारतीय पाठकोंका ध्यान उस विज्ञापनकी तरफ दिलाना चाहते हैं। इतने सीधे-सादे, फिर भी कारगर नियम बनानेपर हम मुख्य परवाना-सचिव कप्तान हैमिल्टन फाउलको बधाई देना चाहते हैं। पाठक देखेंगे कि अब उन्हें परवाने प्राप्त करनेके लिए छ:-छः जगहोंपर नहीं दौड़ना होगा। पहले अर्जदारोंको भिन्न-भिन्न शहरोंके परवाना-दफ्तरोंमें जाना पड़ता था। अब इसकी जरूरत नहीं रह गई है। हमारी रायमें यह कल्पना बहुत अच्छी और मौलिक है। अब तो शरणार्थीको सिर्फ इतना करना होगा कि वह परवानेके लिए अर्जीका एक फार्म प्राप्त कर ले, उसे भर दे, मजिस्ट्रेटकी उपस्थितिमें उसपर अपने दस्तखत कर दे और मुख्य परवाना-सचिवके पास उसे भेज दे। बस, इसके जवाबमें उसे इस अर्जीकी पहुँच लौटती डाकसे मिल जायेगी और फिर उसकी बारी आनेपर ट्रान्सवालमें प्रवेश पानेका अधिकारपत्र उसके पास पहुँच जायेगा। तब वह खुद जोहानिसबर्ग जाये और ट्रान्सवालमें बसनेका स्थायी अधिकारपत्र ले ले। कुछ लोगोंको शायद यह कुछ कठिन प्रतीत हो कि जो लोग ट्रान्सवालके दूसरे हिस्सोंमें बसना चाहते हैं उन्हें भी पहले जोहानिसबर्ग आना पड़ेगा; परन्तु यहाँ दो विकल्पोंमें से एकके चुनावकी बात थी। एक तो यह कि परवाने प्राप्त करनेके दफ्तर भिन्न-भिन्न शहरोंमें हों और दूसरा यह कि सब जोहानिसबर्ग आयें। सो इन दोनोंमें से दूसरा विकल्प हमें कम असुविधाजनक प्रतीत होता है; क्योंकि इन आनेवालोंका बहुत अधिक प्रतिशत तो जोहानिसबर्गकी तरफ ही आकर्षित होता है। अर्जदारोंको याद रखना चाहिए कि ट्रान्सवालमें प्रवेशका अधिकारपत्र मिलनेके बाद उन्हें निश्चित समय मिलेगा, जिसके अन्दर उन्हें वहाँ जरूर पहुँच जाना होगा। इसलिए उन्हें इस बातका खास तौरपर ध्यान रखना होगा कि वे वहाँ अवधि बीत जानेपर देरसे न पहुँचें। इन परवानोंके नियमोंमें शरणार्थियोंके लिए तो एक नया युग-सा शुरू हो गया है। जो चीज उन्हें बगैर किसी परेशानी और खर्चके आसानीसे मिल जानी चाहिए थी, उसको पानेकी कोशिशमें