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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

पहले उनकी गाढ़ी कमाईका बहुत-सा पैसा लुट जाता था। कप्तान फाउल अर्जदारोंको यह भी स्मरण दिलाते हैं कि "अर्जीके फार्म या परवानेके लिए कोई शुल्क या कीमत नहीं देनी है और अगर अर्जदारको अनुमतिपत्रके दफ्तरके किसी कर्मचारीके खिलाफ कभी कोई शिकायत हो तो वह सीधा मुख्य परवाना-सचिवको सूचित करे।" शरणाथियोंको ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें अपनी दरखास्तें किसी मुख्तियारके मार्फत नहीं, सीधे खुद मुख्य परवाना-सचिवके पास भेजनी है। अब अगर वे मुख्तियारों या वकीलोंपर बेकार पैसा खर्च करेंगे तो इसमें दोष उन्हींका होगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ८-१०-१९०३

७. पॉचेफस्ट्रूमका व्यापार-संघ

पॉचेफस्ट्रूमके व्यापार-संघके अध्यक्ष श्री हार्टलेने संघको दिये अपने वक्तव्यमें नीचे लिखी बातें कही है:

कुलियोंके सवालपर संघ गंभीरतापूर्वक सोचता रहा है। हमारी कोशिश यह रही है कि अब नये परवाने न जारी किये जायें। और नये आये हुए लोगोंको उनके लिए बने बाजारोंतक ही सीमित रखा जाये। फिर भी हम देखते हैं कि शहरके अनेक भागोंमें नई दूकानें खुल गई हैं। और स्थानीय अधिकारियोंसे हमें इस सवालका कोई सन्तोषजनक जवाब नहीं मिलता कि इस मामलेको निपटानेके लिए जो नया अध्यादेश जारी किया गया है उसपर अमल क्यों नहीं हो रहा है। दूसरे संघोंसे भी हमारी चिट्ठी-पत्री चल रही है कि हम सब मिलकर इस मामलेमें आगे बढ़े। संघके सदस्योंसे मैं जोरदार अनुरोध करना चाहता हूँ कि कुलियोंके आव्रजनको रोकनेके लिए हर तरहकी कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि यूरोपीय व्यापारियोंके लिए वे भयंकर खतरेका कारण साबित होनेवाले हैं।

स्पष्ट ही पॉचेफस्ट्रूमके सज्जन पूर्वी ट्रान्सवाल पहरेदार संघ[१] (ईस्ट रैंड विजिलेंट्स) का अनुकरण कर रहे हैं। उन्हें इस बातकी बड़ी चिन्ता है कि पॉचेफस्ट्रूम नगरका एक-एक भारतीय दूकानदार एक ऐसी पृथक बस्तीमें भेज दिया जाये, जहाँ उसे कोई धंधा ही न मिल सके। संघकी बैठकमें श्री हार्टलेने यह घोषित किया कि:

कुलियोंके प्रश्नके बारेमें मैं कह सकता हूँ कि यह मामला उच्च अधिकारियोंके विचाराधीन है, और मुझे जो कुछ बताया गया है, उससे मुझे विश्वास होता है कि अच्छा होगा यदि अभी तीन महीने इसे हम जैसाका-तैसा छोड़ दें। इस अवधिमें मेरा खयाल है कि सरकार गोरे व्यापारियोंको सन्तोष देने योग्य कुछ कदम उठायेगी।

हम भली भाँति अनुमान कर सकते हैं कि ये उच्चाधिकारी कौन हो सकते हैं जिन्होंने श्री हार्टलेको आश्वासन दिया है कि तीन महीनेके अन्दर-अन्दर पॉचेफस्ट्रूम नगरमें से भारतीयोंको निकाल

  1. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ ४०३।