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२७१. पत्र:"स्टार"को[१]

[ जोहानिसबर्ग ]
दिसम्बर २४, १९०४ के पूर्व

सेवामें
सम्पादक स्टार
महोदय,

पिछले शनिवारको विधान परिषदके सदस्य श्री लवडेने पॉचेफस्ट्रममें आयोजित एक एशियाई-विरोधी सभामें जो भाषण किया उसमें उन्होंने ब्रिटिश भारतीयोंपर बड़ा जहरीला आक्रमण किया है। क्या मैं उसके सिलसिले में आपके सौजन्यका लाभ उठानेकी अनधिकार चेष्टा कर सकता हूँ? श्री लवडेने मेरे उस भाषणका जवाब देनेकी कृपा की, जो मैंने भारतीयोंकी सार्वजनिक सभामें[२] किया था। और अपनी आलोचनाकी गर्मीमें वे गालियों और अंधाधुंध बयानोंपर उतर आये। इससे अधिक अंधाधुंधी मैंने उनके जैसी उत्तरदायी स्थितिके किसी व्यक्ति में नहीं देखी। उन्हें मुझपर "इरादतन निरंकुश, और दुष्टतामय असत्य वक्तव्य देने और पूर्वीय छल-कपटसे काम लेनेका" आरोप मढ़नेमें कोई संकोच नहीं हुआ है। परन्तु उनके स्तर-पर उतरनेकी मेरी कोई इच्छा नहीं है। फिर भी मैंने अपने भाषण में जो-जो बातें कही थीं, उनमें से हरएकको फिरसे दुहराता हूँ और कोई बात वापस नहीं लेता। आपकी अनुमतिसे मैं उनके अनेकानेक प्रमाणोंमें से कुछ यहाँ देनेका प्रयत्न करूँगा। श्री लवडेने मेरे भाषणके उस हिस्सेपर नाराजगी जाहिर की है, जिसमें मैंने शिकायत की थी कि उन्होंने राष्ट्रीय सम्मेलनमें १८८४ के समझौतेका इतिहास बताते हुए यह हकीकत प्रकट नहीं की कि उस समय उपनिवेशमें ब्रिटिश भारतीय मौजूद थे; और उन्होंने यह भी नहीं बताया था कि १८८५ का कानून ३ वस्तुस्थितिके गलत रूपमें पेश किये जानेके कारण स्वीकार किया गया था। अगर आपने और आपके सहयोगियोंने उक्त सम्मान्य महाशयके भाषणका विवरण जरा भी सही प्रकाशित किया था, तो मेरा कथन पूरी तरह सच है। स्टारमें प्रकाशित विवरणके अनुसार श्री लवडेने यह कहा था:

जब १८८१ का समझौता हुआ था, उस समय ट्रान्सवालमें भारतीय थे ही नहीं; लेखकोंके सामने, जिनकी बैठक और इसमें जरा भी शक नहीं कि उस समझौता पत्रके प्रिटोरियामें हुई थी, एशियाइयोंका प्रश्न कभी उपस्थित हुआ ही नहीं। उस समझौते की सब धाराओंके अध्ययनसे साफ जाहिर हो जाता है कि उसमें सिर्फ गोरी कौम और देशके वतनियोंका ही विचार किया गया था। रोक-थामके कानूनका प्रस्ताव तो सर्वप्रथम भारतीय व्यापारियोंके आने और १८८१ के समझौतेके बदले में १८८४ का समझौता स्वीकार होनेके बाद ही पेश किया गया था।

इस प्रकार, अगर श्री लवडेके भाषणका विवरण सही छापा गया है तो, उन्होंने दावा किया है कि चूंकि १८८४ के पहले यहाँ कोई भारतीय आये नहीं थे, इसलिए "वतनियोंके अलावा"

  1. यह इंडियन ओपिनियनमें “श्री लवडे और ब्रिटिश भारतीय संघ" शीर्षकसे छापा गया था।
  2. यह उल्लेख १७ नवम्बरकी जोहानिसबर्गकी सभाका है, देखिए इंडियन ओपिनियन १९-११-१९०४।