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चीनी मजदूरोंके बारे में श्री स्किनरकी रिपोर्ट

बाहर कर दिया जायेगा। और इन पृथक बस्तियोंके बारे में हम जैसा सुन रहे हैं, अगर वे ऐसी ही रहीं तो इन गरीब दुकानदारोंकी क्या खूब दशा होगी! ध्यान देनेकी बात है, जैसा कि श्री हार्टलेके बयानसे स्पष्ट है, कि पॉचेफस्ट्रूमके यूरोपीय व्यापारी अपने साथी भारतीय व्यापारियोंके विरोधी है। इसलिए अगर सरकार उनकी बात मंजूर कर लेगी तो कहना होगा कि सारा व्यापार खुद ही हड़पनेकी इच्छा रखनेवालोंके स्वार्थपूर्ण आन्दोलनको विजय हो गई। ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंपर अगले वर्ष क्या-क्या मुसीबतें आयेंगी इसका पहले ही अनुमान हो जानेपर कुछ महीने हुए परमश्रेष्ठ उच्चायुक्तको एक दरखास्त भेजी गई थी। इसपर परमश्रेष्ठ क्या जवाब देते हैं, यह जाननेके लिए हम अत्यन्त आतुर हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ८-१०-१९०३

८. चीनी मजदूरोंके बारेमें श्री स्किनरको रिपोर्ट

खानमालिकोंके संघने श्री एच० रॉस स्किनरको संसारके उन तमाम भागोंके दौरेपर भेजा था, जिनका चीनके साथ कुछ भी सम्पर्क है। वे लौट आये हैं और उन्होंने अपना प्रतिवेदन संघके सम्मुख पेश कर दिया है। वह जोहानिसबर्गके अख़बारों में प्रकाशित हुआ है। उसमें मजदूरोंके हितोंकी चर्चाका एक भी अनुच्छेद ढूँढ़े नहीं मिलता। प्रतिवेदन योग्यतापूर्वक लिखा गया है और अंकों तथा तथ्योंसे भरा पड़ा है। तथापि भावनाके सर्वथा अभावके कारण वह एक अत्यन्त निराशाजनक विवरण है। खान-उद्योगसे सम्बन्धित मजदूरोंके प्रश्नपर एक भावनाशून्य और विशुद्ध व्यावसायिक दृष्टिके अलावा किसी दूसरे प्रकारकी आशा तो हमने उनसे की भी नहीं थी। उनके सामने एकमात्र प्रश्न यही था कि खानोंके लिए मजदूर[१] कैसे प्राप्त करें, जिससे उद्योगको अधिकसे-अधिक और मजदूरोंको कमसे-कम लाभ हो। उन्होंने जोहानिसबर्ग स्टारमें छपे अपने साढे़ पाँच कालमवाले सारे प्रतिवेदनमें इसी प्रश्नका उत्तर देनेका यत्न किया है।

श्री स्किनर मजदूरोंपर नीचे लिखी शर्ते लगाना चाहेंगे:

(१) कुछ वर्षोंकी निश्चित अवधितक काम करनेका शर्तनामा।

(२) कुछ वर्गोके मजदूरों और निवासस्थानोंपर प्रतिबंध।

(३) इस अवधिमें उनके किसी प्रकारके व्यापार करने और कोई जमीन-जायदाद खरीदने या पट्टेपर लेनेपर प्रतिबन्ध।

(४) अगर शर्तकी अवधि नहीं बढ़ी तो अनिवार्य रूपसे वापस लौट जाना।

(५) अंग्रेजी कानून और आरोग्यके नियमोंका पालन आवश्यक। ये दोनों चीनकी परम्पराओंसे एकदम भिन्न हैं।

पहली और पाँचवीं शर्तको छोड़कर शेष सारी शर्ते इस हेतुसे लगाई जायेंगी कि अपने मालिककी इजाजतसे अधिक कोई चीनी अपने शरीर या बुद्धिका लाभदायी उपयोग न करने पाये। इसके साथ-साथ श्री स्किनर इनपर अहातोंकी प्रथा भी लागू कर देना चाहते हैं। इस प्रकार मजदूर एक निरा कैदी बन जायेगा। जैसा कि लीडरने गम्भीरतापूर्वक सुझाया

  1. ट्रान्सवालके खान-उद्योग मालिकोंने चीनसे २,००,००० गिरमिटिया मजदूर बुलानेका प्रस्ताव किया था। देखिए खण्ड ३, पृष्ट ४८३।