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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 4.pdf/३८०

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वफादारीके दावेको झूठा साबित कर रहे हैं जिसके बलपर ही वे वाणीकी इतनी स्वतन्त्रताका उपभोग कर रहे हैं, जितनी कि स्वतन्त्रताको वाणी स्वैरता समझनेकी वे थोड़ी संजीदगीसे काम लें?

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-१२-१९०४

२७५.. एक नया साप्ताहिक

जोहानिसबर्गसे रैंड रेट पेयर्स रिव्यू नामके एक नये साप्ताहिक पत्रका प्रकाशन आरम्भ हुआ है। उसका मुद्रा-वाक्य है—"जनता सत्य है"। पत्रकी छपाई-सफाई अच्छी है। एशियाइयोंके प्रश्नपर उसने जो विचार प्रकाशित किये हैं उनसे मालूम होता है कि वह एक बहुत उपयोगी और स्वतन्त्र पत्र होगा। अलबत्ता शर्त यह है कि उसका आरम्भ जिस रूपमें हुआ है वह आगे जारी रहे। उसमें प्रकाशित विचार निम्नलिखित हैं—

जोहानिसबर्ग डाकघरसे तीन मीलके अन्दर ही एक टेकरीपर एक स्तम्भ खड़ा हुआ है, जिसके नीचे अनेक बस्तियों का शीघ्रताके साथ विकास हो रहा है। उस स्मारकस्तम्भके पास ही एक छोटा-सा कब्रिस्तान है। उसमें कब्रोंके कई बड़े-बड़े टीले हैं और एक पत्थरका कुतबा है जिसपर खुदा हुआ है—'लाइलाही इल्लिल्लाह मुहम्मद रसूलिल्लाह' (अल्लाहके सिवा कोई परमात्मा नहीं, और मुहम्मद उसका पैगम्बर है)। उस कब्रिस्तानमें हमारे भारत-साम्राज्यके काले सैनिकोंकी लाशें दफन हैं। इन्होंने अपनी जानें ट्रान्सवालमें ब्रिटिश प्रजाजनोंकी स्वतन्त्रताके लिए लड़ते-लड़ते कुरबान की थीं। हम इसका खयाल अपनी नगर-परिषद् के सदस्योंकी २ नम्बरकी पहली बैठक में दिये गये मतोंके और इससे अगले सप्ताह प्रिटोरिया के नाटकघर (ऑपेरा हाउस) में हुई ट्रान्सवालके सब हिस्सोंके प्रतिनिधियोंको बैठकके सिलसिले में कर रहे हैं। इस बैठकमें एकके बाद एक कई सदस्योंने खड़े होकर ऐसे प्रस्ताव पास करनेकी चीख-पुकार मचाई थी, जिनके अमलमें आनेसे हमारे भारतीय सह-प्रजाजन इस उपनिवेशमें कोई भी अधिकार पानसे वंचित हो जायेंगे। उन्हें सिर्फ वे ही अधिकार रहेंगे जो गिरमिटिया मजदूर बनाकर लाये गये चीनी काफिरोंको प्राप्त हैं। हमें लगता है कि जो लोग प्रस्ताव बनानेके लिए विषय खोजनेका प्रयत्न करते हैं उनकी भाषामें कुछ सुधार और कुछ अधिक विचारशीलताकी जरूरत है। जब कि इस तरहके पूर्वग्रह मौजूद हैं, क्या ताज्जुब कि लॉर्ड कर्जनने लॉर्ड मिलनरके स्थानपर यहाँ आनेसे इनकार कर दिया। और अगर ब्रिटेनके अधिकारियोंके सामने ट्रान्सवालको 'उत्तरदायी शासन' देनेमें देरी करनेका कोई कारण है, तो वह कोई दूसरा नहीं, केवल यह भय है कि कहीं इस अधिकारका प्रयोग उन लोगोंके विरुद्ध न किया जाये जिन्होंने ब्रिटिश सरकारको यह उपनिवेश प्राप्त करनेमें मदद की है। सभी जानते हैं कि बोअर लोगोंने व्यापार करनेवाले परवानों के जरिये कुछ सहूलियतें दी थीं। परन्तु उन